बात हे अभिमान के, छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान के : मुख्यमंत्री

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मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे पुरखों ने सिखाया है कि अपनी माटी, परंपराओं और संस्कृति से जुड़कर हम एकजुटता के सेतु बनाते हैं। इन मूल्यों के विपरीत चलने का खामियाजा पहले भी बहुत भुगता जा चुका है इसलिए हम छत्तीसगढ़िया अस्मिता, स्वाभिमान और स्वावलंबन की अलख जगाने के लिए छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा स्थापित कर रहे हैं, जो जाति-धर्म-संप्रदाय से ऊपर उठकर छत्तीसगढ़ियत के आदर्शों का विस्तार करेगी। 

 

उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य को ही यह सौभाग्य मिला है कि इसके नाम के साथ महतारी शब्द जुड़ता है, जो मातृशक्ति के प्रति हमारी गहरी आस्था का प्रतीक है। इसीलिए हम कहते हैं ‘बात हे अभिमान के, छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान के’। मैं चाहूंगा कि सार्वजनिक आयोजनों में छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा, उनका चित्र, राजगीत, राजकीय प्रतीक छत्तीसगढ़िया गमछा, बोरे-बासी तथा छत्तीसगढ़िया खान-पान का विशेष ध्यान रखा जाए। छत्तीसगढ़िया त्यौहारों पर घोषित किए सार्वजनिक अवकाशों का उपयोग त्यौहार के महत्व के अनुरूप आयोजनों में किया जाए।


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