राष्ट्र के चारो नागरिक अलंकरण पुरस्कार जीतने वाले केवल चार

लेखक- संजय दुबे

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भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर जीवन से जुड़े सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक क्षेत्र से जुड़े व्यक्तियों के विलक्षण कार्य को दो कारणों से पुरस्कृत किया जाता है। 1 उनके अद्वितीय कार्य को सम्मानित करना और 2 अन्य लोगो को प्रेरित करना। इन उद्देश्यों को लेकर देश मे पद्म पुरस्कार की शुरुवात1954 में हुई। 68 वर्ष की कालावधि में 48 भारत रत्न,331 पद्मविभूषण,1287 पद्मभूषण और 3441 पद्मश्री पुरस्कार की घोषणा हो चुकी है।

1952 में 36 करोड़ की जनसंख्या में पुरस्कार योग्य व्यक्ति का चयन होता था तो अब 141 करोड़ की जनसंख्या में योग्यता का चयन हो रहा है। पहले इन पुरस्कारों के लिए राज्य की सरकारें नामांकन कर चयन समिति को भेजा करती थी तब पक्षपात का आरोप लगता था अब यदि कोई व्यक्ति स्वयं के कार्य को पद्म पुरस्कार के योग्य समझता है तो वह स्वयं भी प्रस्तुत हो सकता है ।

 इस साल किसी भी व्यक्ति को भारत रत्न के योग्य नहीं माना गया है( रतन टाटा, ध्यानचंद, स्वामीनाथन, मृत्यु उपरांत कुरियन, भगतसिंह को भी) 6 पद्मविभूषण, 9 पद्मभूषण और 99 पद्मश्री पुरस्कारों की घोषणा हुई है। 

     आम तौर पर इनमें से चतुर्थ श्रेणी की पद्मश्री पुरस्कार को ही पाने के लिए संबंधित क्षेत्र में स्थापित होने के साथ कार्य को भी प्रमाणित करना होता है अन्यथा प्रयास हो लोग करते ही रहते है। राजनैतिक संरक्षण ककी भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है और जब कभी ऐसे नाम इन फेरहिस्त में शामिल होते है तो पक्षपात की बू आती भी दिखाई देती है।

 2023 के नागरिक अलंकरण पुरस्कार की घोषणा होने के 4 अतिविशिष्ट व्यक्तियों की श्रेणी में सत्यजीत रे, भीमसेन जोशी, बिस्मिल्लाह खान और भूपेन हजारिका का नाम शामिल है।

 सत्यजीत रे, पहला नाम है इस फेरहिस्त में जिन्हें 1958 में पद्मश्री,1965 में पद्मभूषण, 1974 में पद्मविभूषण और अंततः 1992 में भारत रत्न से नवाजे गए

 भीमसेन जोशी को 1972 में पद्मश्री, 1985 में पद्मभूषण, 1999 में पद्मविभूषण मिला। 2008 में भीमसेन जोशी को भारत रत्न मिला

 शहनाई वादक बिलमिल्लाह खान,, सुरसाधक भीमसेन जोशी के बराबर ही 1972 में पद्मश्री, 1985 में पद्मभूषण, 1999 में पद्मविभूषण सम्मान से सम्मानित हुए लेकिन भारत रत्न का सम्मान भीमसेन जोशी के भारत रत्न मिलने के साल(2008) के एक साल बाद 2009 में मिला

 इस कड़ी में अंतिम व्यक्ति आसाम के गायक भूपेन हजारिका रहे। 1997 में पद्मश्री, 2001 में पद्मभूषण, 2012 में पद्मविभूषण और 2019 में भारतरत्न पुरस्कार मिला।

    पद्मश्री से भारतरत्न सम्मान का सफर कितना दीर्घ होता है इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बिसमिल्लाह खान को 37, भीमसेन जोशी को 36 सत्यजीत रे को 34 साल लग गए। भूपेन हजारिका भाग्यशाली रहे कि उनको महज 22 साल में चारो नागरिक अलंकरण सम्मान मिल गया।

 मेरे जानते में 3 लोग ऐसे है जिन्हें पद्मश्री, पद्मभूषण औऱ पद्मविभूषण सम्मान मिल चुका है। ये है अमिताभ बच्चन, मेरीकॉम औऱ छत्तीसगढ़ की तीजनबाई। यदि इनमें से किसी को भी भारत रत्न सम्मान भविष्य में मिलता है तो अतिविशिष्ट व्यक्तियों की सूची में नया नाम जुड़ेगा।


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