राहुल की गांधी यात्रा

लेखक- संजय दुबे

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यात्राएं, अक्सर किया जाना चाहिए । यात्राओं के लिए दूरी औऱ समय मायने नहीं रखती है, स्थान परिवर्तन से मस्तिष्क में नयापन आना स्वाभाविक प्रक्रिया माना जाता है। 

यात्रा के साथ साथ प्राकृतिक परिवर्तन मन को सुकून देता है, नये व्यक्तियों नये विचार, नई संस्कृति के साथ साथ रहनसहन, खानपान के परिवर्तन को हम समझ पाते है। सदियों से यात्रा होती रही है और अब जबकि संपर्क के इतने साधन उपलब्ध हो गए है इस कारण यात्राएं औऱ भी सुलभ हो गयी है। इसके बावजूद पद यात्रा का महत्व सर्वाधिक है। कोलम्बस और ह्वेनसांग की यात्रा को जिज्ञासा की बड़ी यात्रा मानी गयी है। हमारे देश मे राजा महाराजाओं के काल मे भी यात्रा मायने रखती थी। अपने राज्य के प्रजा का हालचाल सहित राज्य व्यवस्था को जानने के लिए वेश बदल कर यात्राये हुआ करती थी। 

 लोकतांत्रिक व्यवस्था का दौर शुरू हुआ तो राजनैतिक यात्राये होने लगी। महात्मा गांधी की दांडी यात्रा, खिलाफत की यात्रा रही थी। राहुल संस्कृतयांन देश के ऐसे यात्री रहे जिन्होंने बौद्धिक ज्ञान के लिए यात्राये की। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर और पूर्व केंद्रीय मंत्री दिग्विजयसिंह की यात्राये देश की चर्चित यात्राओं में गिना जाता है। इन यात्राओं में एक नाम और शामिल हो गया है - राहुल गांधी का।

   राहुल गांधी की ये दूसरी यात्रा है पहलेपहल राजनीति में आने से पहले देश के मिजाज को समझने के लिए यात्रा की थी।ये यात्रा व्यक्तिगत थी लेकिन अबकी बार की यात्रा सामूहिक रही और 'भारत जोड़ो' के आदर्श वाक्य को लेकर 14 राज्यो में की गई।

 राजैनतिक यात्राओं के पार्टीगत लाभ के संदर्भ होते है साथ ही साथ व्यक्तिगत रूप से स्थापित होने के भी मायने रखते है। राहुल गांधी कांग्रेस के बड़े चेहरे है और देखा जाए तो राजकुमार भी है जिनका राजा बनना शेष है। राजनीति में संगठन के द्वारा सत्ता की चाह हर पार्टी की रहती है। एक पार्टी प्रयास करती है तो दूसरी पार्टी उसमे कमी निकालती है। आरोप प्रत्यारोप स्वाभाविक प्रक्रिया है और इससे परे पार्टियां अपने अपने काम करती है। राहुल गांधी ने बहुउद्देश्यीय यात्रा का संदर्भ जेहन में रखा और अपने दीर्घ यात्रा को कन्याकुमारी से कश्मीर तक लेकर गए। इस यात्रा में सबसे बड़ा उद्देश्य कॉंग्रेस को भाजपा के हार्ड हिंदुत्व के प्रत्युत्तर में सॉफ्टहिंदुत्व के समर्थक के रूप में सामने लाना रहा है।इस कारण राहुल गांधी ने 14 राज्यो की यात्रा में मंदिरों के चौखट पर गए। धर्मावलंबियों से संपर्क किया। अपने भाषणों में रामायण, महाभारत के संदर्भो को समाहित किया। जिन राज्यो से गुजरे वहाँ की संस्कृति को आत्मसात किया। किसी भी राज्य को अपने अतिथि का स्वागत करना अच्छा लगता है।कांग्रेस ग्रेंड ओल्ड पार्टी है ।इस पार्टी के कार्यकर्ता हर गावं में है।इस कारण यात्रा में उत्साह बरकरार रहा।कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को इस यात्रा से नए राहुल गांधी से मुलाकात हुई होगी ।

 कांग्रेस को अगले एक साल में आसन्न विधानसभा चुनाव सहित अगले साल लोकसभा चुनाव में लोकसभा चुनाव के लिए कमर कसना है, इस दृष्टि से राहुल गांधी की पद यात्रा उत्साह का संचार करेगी अपनी यात्रा के दौरान कांग्रेस ने हिमांचल प्रदेश का विधानसभा चुनाव जीता है तो गुजरात मे नुकसान को भी झेला है।दिल्ली महानगर निगम चुनाव में दिल्ली दूर ही रही है। इनसे परे कांग्रेस ने अपने को परिवारवाद के विपक्षी आक्रमण से खुद को बाहर निकाला है । मल्लिकार्जुन खड़गे का लोकतांत्रिक निर्वाचन ने विपक्ष के स्वर को मौन किया है।

अब राहुल "गांधी" की यात्रा पूर्ण हो गयी है। राहुल गांधी को कांग्रेस के बहु विकास के लिए नेहरू जी के देश विकास के सिद्धांत को अपनाने की जरूरत है जिन्होंने कृषि और उद्योग के बीच शानदार सामंजस्य रखा था। देश मे मानव संसाधन के रूप में100 करोड़ हाथों में से करोड़ो हाथ खाली है। जिन्हें काम चाहिए। टेक्नोलॉजी युग मे मस्तिष्क का जोर चलता है । लेकिन मानवीय श्रम को इस देश मे अनदेखा किया जा रहा है। इसे राहुल गांधी ने यात्रा के दौरान समझ चुके है।

 The walk is done but work is just begun(यात्रा खत्म हुई, कार्य प्रारम्भ हो)


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