मोदी राज में महंगाई बढ़ी गरीब और गरीब हुये, मोदी के मित्रों की संपत्ति बढ़ी

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प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि मोदी सरकार जब से सत्ता में आई है, महंगाई से देश के नागरिकों की कमर टूटती जा रही है। 2014 में जो गैस का सिलेंडर 410 रु. का था, आज वह 1150 रु. के पार है। पेट्रोल के दाम 70 रु. प्रति लीटर से बढ़कर 100 रु. प्रति लीटर के पार हो गए हैं जबकि डीजल के दाम 55 रु. प्रति लीटर से बढ़कर 90 रु. प्रति लीटर के करीब पहुंच गए हैं। अंतर्राष्ट्रीय मार्केट में कु्रड आयल का दाम लगातार कम हो रहे है। 2014 की तुलना में वर्तमान में कु्रड आयल आधे रेट में मिल रहा है लकिन उसका लाभ आम जनता को नही मिल रहा है। खाने के तेल और दाल की कीमत 70 रु. और 60 रु. प्रति किलो थी, वह 200 रू. प्रति किलो को पार कर गई है। इतना ही नहीं, बीते दिनों जीएसटी की बर्बर मार से दही, पनीर, लस्सी, आटा, सूखा सोयाबीन, मटर व मुरमुरे भी बच नहीं सके, उन पर भी 5 फीसदी जीएसटी लगा दिया गया। होटल के 1,000 रु. के कमरे पर 12 प्रतिशत जीएसटी, अस्पताल के आईसीयू बेड पर 5 प्रतिशत जीएसटी! जीने के लिए सभी आवश्यक चीजों पर जीएसटी लगाकर चैन नहीं मिला तो श्मशान घाट के निर्माण पर भी जीएसटी बढ़ा दिया गया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतें लगातार घट रही है मगर मोदी सरकार पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम नहीं कर रही है। बीते 8 सालों में पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स पर कर लगाकर 29 लाख करोड़ रुपए जनता की जेब से निकाले गए हैं।

 

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि मोदी सरकार देश को असमानता और कर्ज की आग में झोंका, दिया सिर्फ धन्ना सेठों को मौका। हाल ही में आई ’ऑक्सफैम’ की रिपोर्ट में बताया गया है कि देश के 5 प्रतिशत अमीर लोगों के पास देश की 60 प्रतिशत से ज्यादा संपत्ति है और नीचे के 50 प्रतिशत लोगों के पास देश की मात्र 3 प्रतिशत संपत्ति। विडंबना यह है कि नीचे के इन 50 प्रतिशत लोगों की जीएसटी में हिस्सेदारी 64 प्रतिशत है और ऊपर के 10 प्रतिशत लोगों की जीएसटी में हिस्सेदारी केवल 3 प्रतिशत है जबकि उनके पास देश की 70-80 प्रतिशत संपत्ति है। ’ऑक्सफेम’ की रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना महामारी की विभीषिका में भी देश के 100 बड़े पूंजीपतियों ने 13 लाख करोड़ रुपए कमाए पर 12 करोड़ मेहनतकश लोगों ने अपना रोजगार खो दिया। मोदी जी के कई मित्रों की आय तो ₹1,000 करोड़ प्रतिदिन बढ़ रही है। महामारी की विभीषिका में 84 करोड़ लोगों की आमदनी घट गई लेकिन सरकार की मेहरबानी धन्नासेठों पर रही। उनका 10 लाख करोड़ रु. से अधिक का बैंक कर्ज बट्टे खाते में डाल दिया गया। मोदी सरकार की सरपरस्ती में 5,35,000 करोड़ रु. के बैंक फ्रॉड हुए और नियोजित रूप से विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चोकसी, ऋषि अग्रवाल और संदेसरा बंधु जैसे कई लोगों को देश से भगा दिया गया।

 

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि आजादी के बाद से मई 2014 तक देश पर कुल कर्ज 55 लाख करोड़ रुपए था जो मोदी सरकार के बीते आठ साल के कार्यकाल में बढ़कर 155 लाख करोड़ रुपए हो गया है। हाल में आई ’ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट’ ने बताया कि भारत में भुखमरी के हालात ये है कि हम पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश से पिछड़ गए हैं। 116 देशों की सूची में हमारा देश 101वें पायदान पर लुढ़क गया है।

 

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि हाल ही में एनएसओ की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि देश में किसानों की औसत आमदनी मात्र ₹27 प्रतिदिन रह गई है, जो मनरेगा मजदूरी से भी कम है। वादे आय दोगुनी करनी के और असलियत में किसान की आय दसियों गुना कम कर दी गई। एनएसओ की रिपोर्ट में यह भी चौकाने वाला तथ्य सामने आया कि देश के हर किसान पर औसत ₹74,000 कर्ज है। एक तरफ सरकार किसानों का कर्ज़ माफ़ करने से इंकार करती है, दूसरी तरफ पार्लियामेंट्री कमेटी ने यह खुलासा किया है कि 2020-21 में मोदी सरकार ने कॉर्पोरेट टैक्स में कमी करके देश को 1,84,000 करोड़ का नुकसान पहुंचाया है। यह परिस्थितियाँ इसलिए निर्मित हुई क्योंकि मोदी सरकार ने बीते सालों में डीजल के दाम बढ़ाकर और कृषि यंत्रों, खाद व कीटनाशक पर जीएसटी लगाकर खेती की लागत 25,000 रू. हेक्टेयर बढ़ा दी।


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