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दुर्गम क्षेत्रों में सूरज की रोशनी बुझा रही खेतों की प्यास
फसल की अच्छी पैदावार के लिए उचित देखरेख के साथ पर्याप्त सिंचाई भी जरूरी है। भौगोलिक दृष्टि से पहुंचविहीन और अविद्युतीकृत क्षेत्रों में किसानों के लिए खेतों तक पानी पहुंचाना एक बड़ी समस्या रही है। इन क्षेत्रों में सौर ऊर्जा बड़ी सहूलियत बन कर उभर रही है। उत्तर बस्तर कांकेर जिले के दूरस्थ वनांचल क्षेत्रों में सैकड़ों किसान सौर सुजला योजना के माध्यम से अपने खेतों में सोलर पंप लगाकर सिंचाई कर रहे हैं। इससे खेतों को भरपूर पानी मिलने लगा है, जिससे उत्पादन भी बढ़ा है। पानी की सुविधा होने से कई किसान खेतों के बीच मछली पालन और अतिरिक्त फसल लेकर अतिरिक्त कमाई भी करने लगे हैं। सौर ऊर्जा से पंप चलने से जहां किसानों को बिजली गुल की समस्या तथा भारी भरकम बिजली बिलों से छुटकारा मिला है, वहीं रात में वाटर रिचार्जिंग का समय मिलने से जमीन का जलस्तर भी नहीं गिरता है।
सुदूर वनाच्छादित दुर्गम स्थलों के किसानों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (क्रेडा) द्वारा इन क्षेत्रों में रियायती दर पर किसानों को सोलर पम्प दिए जा रहे हैं। योजना के तहत राज्य सरकार द्वारा 90 प्रतिशत से अधिक की सब्सिडी प्रदान की जा रही है। 5 हॉर्स पावर का पम्प अनुसूचित जाति और जनजाति के किसानों को 10 हजार रूपए, अन्य पिछड़ा वर्ग को 15 हजार रूपए और सामान्य वर्ग को 20 हजार रूपए में प्रदान किये जा रहेे हैं। इसी तरह 3 हॉर्स पावर के पम्प अनुसूचित जाति और जनजाति के किसानों को 7 हजार, अन्य पिछड़ा वर्ग को 12 हजार और सामान्य वर्ग को 18 हजार रूपए में प्रदान किये जाते हैं। अब सूरज की रोशनी खेतों की प्यास बुझाने लगी है, कांकेर जिले में ही योजना के तहत 6 हजार 821 किसानों के खेतों और 268 गौठान चारागाह में 7 हजार 89 पम्प स्थापित किये गए हैं। क्रेडा द्वारा 5 साल तक सोलर पंप का मेंटेनेंस भी किया जाता है। जिससे किसानों के लिए सिंचाई अब आसान हो गई है।
खेती किसानी के लिए अब बारिश पर निर्भरता नहीं
दुर्गूकोंदल विकासखण्ड के ग्राम सुरूंगदोह के किसान सीताराम ने बताया कि उनका खेत पहाड़ी क्षेत्र में होने के कारण विद्युत लाईन पहुंच पाना बहुत मुश्किल है। सिंचाई सुविधा के अभाव में वे खेती-किसानी के लिए वर्षा के जल पर ही निर्भर थे। सौर सुजला योजना के बारे में पता चलने पर उनके सामने बिना बिजली के सिंचाई का एक नया विकल्प आया। उन्होंने अपने खेत में तीन हार्स पावर का सोलर पंप स्थापित कर लिया। सिंचाई की सुविधा बढ़ने से वे मक्का उत्पादन के साथ सब्जी की खेती और मछली पालन भी कर रहे है, इससे उन्हे अच्छी आमदनी हो जाती है।
पानी का साधन मिलने से बढ़ी किसानों की कमाई
जिला मुख्यालय से लगभग 150 किलोमीटर दूर कोयलीबेड़ा विकासखण्ड के सैकड़ों किसान भी सौर सुजला योजना का लाभ ले रहे हैं। क्षेत्र के राम कृष्णपुर के किसान परिमल बोस ने बताया कि उन्होंने अपने खेत में 05 हार्स पावर का सोलर पंप लगाया है। सोलर पंप के माध्यम से वे तालाब में पानी भरकर मछली पालन कर रहे हैंं। इससे एक साल में उन्हें लगभग 03 लाख रुपये की आमदनी हो रही है। साथ ही खेतों में मक्के की खेती से 04 लाख की कमाई हो रही है।
अब साल भर लहलहाते हैं खेत
इसी तरह अंतागढ़ विकासखण्ड के दुर्गम एवं वनांचल ग्राम उसेली के किसान झिटकू राम तारम ने बताया कि उनकी दो एकड़ जमीन दूध नाला के समीप स्थित है। जमीन में वर्षभर जल स्तर बने रहने के बावजूद वह सिंचाई साधन के अभाव में खेती नहीं कर पाते थे। सौर सुजला योजना के बारे में जानकारी मिलते ही उन्होंने अपने खेतों में 5 हार्स पावर का सौर ऊर्जा चलित सिंचाई पंप लगवा लिया। सिंचाई की समस्या दूर होने से अब वह मिर्च, प्याज, टमाटर जैसी सब्जियों के साथ-साथ दलहनी फसलों का उत्पादन भी कर रहे हैं, इससे उन्हें अच्छी आमदनी हो जाती है। अब पूरे वर्ष खेतों में हरियाली रहती है, जिससे वे बहुत खुश हैं। नरहरपुर विकासखण्ड के ग्राम निशानहर्रा की किसान सुकोन्तिन शोरी का खेत भी पहाड़ी क्षेत्र में होने के कारण विद्युत पहुंच से दूर था। पहले वह वर्षा आधारित खेती करती थीं। अब वह तीन हार्स पावर के सोलर पंप के माध्यम से खेतों की सिंचाई करने लगी हैं। ड्रिप सिस्टम के माध्यम से सिंचाई कर टमाटर, करेला, लौकी जैसी अन्य सब्जियों का उत्पादन कर वह अच्छी आमदनी प्राप्त कर रही हैं।
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