राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द होने पर पूर्व सांसद संदीप दीक्षित ने दी प्रतिक्रिया

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राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द होने पर पूर्व सांसद संदीप दीक्षित, डॉ चयनिका उनियाल, सुरेन्द्र राजपूत, अनुमा आचार्य ने आज दिल्ली में लेखक व इतिहासकार अशोक पांडे और उनकी टीम द्वारा आयोजित वैखरी- लिटरेचर फेस्टिवल के मंच से बयान जारी किया। सभी स्रोताओं ने खड़े होकर तालियों की गड़गड़ाहट के साथ समर्थन दिया।

 

संदीप जी ने बयान में कहा- ये जो नया तरीका इस्तेमाल किया गया है जहा से क़ानूनी व्यवस्था कितनी इसमें डूबी है उस पर तो मै सवाल नही करूँगा नही तो काल परसों आपको भी मेरी गिरफ्तारी के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पास करनी पड़ेगा. इस व्यवस्था के खिलाफ आज हम सबको एक होकर खड़ा होना पड़ेगा. आज जो विपक्षी दल खड़े है एक साथ ये सब ऐसे है जो इससे ज्यादा तीखी टिप्पणीयां एक दुसरे के खिलाफ कर चुके है. शायद जिन लोगो ने आज सुबह कांग्रेस के समर्थन ट्विट किया था ये वो है जिन्होंने कांग्रेस के बारे में ऐसी बात कही होगी जिससे आज हम इतना कमजोर हुए है लेकिन ये उनका अधिकार है ये उनका हक़ अगर वो हमारी गलत निंदा करते है तो उनके खिलाफ लड़ना और उनकी बात को गलत साबित करना लोकतांत्रित पटल पर हमारा अधिकार है. लेकिन इसके लिए सरकारी संस्थाओं का दरुपयोग करते हुए कानून की पेचिदियो को गलत तरीको से मोड़ते हुए और देश की सूरत और दिशा को बदलने का जो प्रयास है. मुझे लगता है उसके खिलाफ हम सबको सचेत होना पड़ेगा नही तो आगे दिक्कत होगी. 

इस आशा से हम इस बात का समर्थन करे की इस देश में निंदा करना, सवाल पूछना, आलोचना करना; सही तरीके से सही भाषा में सायंम से सवाल पूछना मानवीय और संस्कृतिक प्रश्न होता है परन्तु यह क़ानूनी प्रश्न नही होता है. इन्ही मौको पर ये देश बना था इन्ही मौको पर ये देश आज भी है और कम से कम जिस देश में मैं रहता हू हो सकता है कि मैं काल्पनिक देश में रहता हूँ परन्तु जिस देश में मैं रहता हु उसका परिचय तो इससे है की खुद से भी, दूसरों से भी, जिनको नही जनता हूँ उनसे भी, जो सत्ता है उससे भी, जो सत्ता से दूर है उससे सवाल पूछ सकते है और उसको जबाब देने का हम अधिकार भी देते है. इस आशा से की आप लोग हमारे साथ होंगे और आग्रह करेंगे सरकार से, सरकार से ज्यादा इस देश की जनता से की इसमें साथ खड़ें हों.


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