महिलाओं ने क्रिकेट खेल अपराध किया है!
लेखक- संजय दुबे
देश के संविधान में मूलभूत अधिकारों में एक अधिकार समानता का अधिकार है। इसमे स्पष्ट है कि देश मे महिलाओं और पुरुषो के बीच किसी भी तरह से सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक आधार सहित अन्य आधार पर असमानता नही किया जाएगा।
खेल के क्षेत्र में समानता केअधिकार खुले रूप से उल्लंघन होते देखा जा सकता है। सबसे ज्यादा भेदभाव देश के सर्वाधिक लोकप्रिय खेल क्रिकेट में देखने को मिल रहा है।
चाहे पुरुष खिलाड़ी हो या महिला खिलाड़ी दोनो ही जब अन्य देश जाते है तो भारत का प्रतिनिधित्व करते है। टेस्ट खेले या वनडे या टी20 खेलते वक़्त पुरुषो के बराबर ही महिलाएं भी देश की प्रतिष्ठा को बढ़ाने के लिए प्रयास करती है। पिछले 5-6 सालों में भारत की महिला टीम ने शानदार प्रदर्शन किया है। वे विश्व की प्रथम चार टीम में शुमार होती है।
भारत मे क्रिकेट के जुनून को देखते हुए इस साल से महिलाओं का आईपीएल भी शुरू हुआ है।आईपीएल शुद्ध व्यवसायिक मामला है।इस कारण महिला खिलाड़ियों की बोली भी बेहतर लगी।स्टार ओपनर स्मृति मांधना को 3.20 करोड़ रुपये मिले। इतनी राशि तो पाकिस्तान में होने वाले पाकिस्तान सुपर लीग के लिए बाबर आज़म को नही मिलते है। बात व्यवसायिक बराबरी की नही बल्कि राष्ट्रीय बराबरी की है।
बीसीसीआई, दुनियां का सबसे अमीर बोर्ड है जिसकी कमाई खरबो में है। आईसीसी भी सबसे अधिक हिस्सेदारी भारत को देती है। देश के गृह मंत्री अमित शाह के पुत्र जय शाह बीसीसीआई के सचिव है। कुछ समय पहले महिलाओं के टेस्ट, वनडे औऱ टी20 मैच खेलने के लिए फीस की असमानता( भेदभाव) को खत्म कर समान राशि की घोषणा की गई थी। 2022 से पहले महिला क्रिकेटर्स को टेस्ट खेलने के 4 लाख औऱ वनडे और टी20 मैच खेलने के लिए 1 लाख रुपये मिलते थे। पुरुषो को टेस्ट के 15, वनडे के 6 औऱ टी20 मैच के 3 लाख रुपये मिलते है। 2023 से फीस के मामले में पुरुष और महिलाएं बराबर हो गयी है।
असल बात है सालाना अनुबंध में दिए जाने वाली राशि की है। इसके अलावा श्रेणी(catagory) की है। पुरुषो में 4 श्रेणी है। A+,A, B औऱ C, जिसमे 7, 5,3 औऱ 1 करोड़ रुपये दिए जाते है। भारत के पुरुष टीम के कप्तान रोहित शर्मा को 7 करोड़ रुपये मिलते है लेकिन महिला टीम की कप्तान हरमनप्रीत कौर को सिर्फ 50 लाख मिलते है। पुरुषो के चार श्रेणी में 26 खिलाड़ी है लेकिन महिलाओं के तीन श्रेणी A, B औऱ C में सिर्फ 15 खिलाड़ी है। बोर्ड जानता है कि महिलाओं को पुरुषों के बराबर न तो टेस्ट खेलने का अवसर मिलता है और न ही पुरुषो के बराबर वनडे ऒर टी20 मैच खेल पाते है। भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान हरमनप्रीत कौर ने 2014 से लेकर आज तक 3 टेस्ट खेले है। उनके साथ साथ 2014 से टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण करने वाले के एल राहुल अब तक 47 टेस्ट खेल चुके है। इससे खेल अवसर का फर्क समझा जा सकता है।
जब खेलने का ही अवसर न मिले और अनुबंध राशि भी पुरुषो की तुलना में 13 फीसदी कम हो 7 करोड़:50 लाख तो समान कार्य का असमान आर्थिक भुगतान का मामला तो बनता है। जय शाह से एक साधारण सा प्रश्न कि यदि बीसीसीआई के सचिव कोई महिला बने तो क्या उसकी फीस 13 गुना कम करके दी जाएगी?
बीसीसीआई को चाहिए कि महिला क्रिकेटर्स की अनुबंध राशि भले ही पुरुषो के बराबर न किया जा सकता हो तो कम से कम सम्मानजनक तो अवश्य होना चाहिए। पुरुषो के अनुबंध राशि के आधे तो जरूर होना ही चाहिए।
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