दो देश का एक लेखक- सआदत हसन मंटो
लेखक - संजय दुबे
लेखक समाज के लिए कैसा है ये लेखक के लेखन से पता चलता है। आम तौर पर लेखन के नाम पर दुनियां अनेक भागों में बटी हुई है। किसी को लगता है कि वह अभिव्यक्त होने की आज़ादी रखता है इसलिये उसके विचार से केवल सहमत या असहमत होना चाहिए लेकिन भावना को ठेस लगने की विपदा ने अच्छे अच्छे लोगो को कम से कम वैचारिक रूप से पुरुषार्थी तो नहीं रहने दिया है। सआदत हसन मंटो का दुर्भाग्य रहा कि वह उस युग मे जन्म लिया जिस युग मे "अश्लीलता" परिभाषित थी। स्त्री और पुरुष के जिस्मानी रिश्ते के शाब्दिक लेखन को श्लील ढंग से न लिखना ही अश्लीलता थी। सआदत हसन मंटो ने इसी प्रकार के दृश्यों को लेखांकित किया और बुद्धजीवी लेखकों के बिरादरी में अलग स्थान पर बैठे।
जो व्यक्ति विक्टर ह्यूगो, आस्कर वाइल्ड, चेखव, गोर्की के लेखों का उर्दू भाषा मे अनुवाद करे उसे विचारों से प्रगतिशील माना जाता लेकिन मंटो के लेखन में जिस्म सहित उन बातों का वर्णन रहा जिससे उनका लेखन श्लील नही रहा।
मंटो अपनी जिंदगी की शुरुआत में ड्रामा करना चाहते थे, आज़ादी की लड़ाई में शरीक होने की चाह रखते थे लेकिन मुनासिब नही हुआ तो कलम थाम ली।कमल लिए लिए कथानक भी लिखे औऱ कहानियां भी। फिल्म मिर्ज़ा ग़ालिब की कहानी उन्होंने ही लिखी थी जिसमें भारत भूषण और सुरैया ने काम किया था।
"तमाशा" मंटो की वह शुरुआत थी जिसने लोगो की आत्मा की झिझोंड दिया था। जलियांवाला बाग की दुर्घटना को 7 साल के बच्चे ने कैसा अनुभव किया था। ये कहानी बताती है।
आगे चलकर मंटो की कहानियों में स्त्री पुरुष सहित समलैंगिक संबंधों का जिक्र बढ़ने लगा तो उन्हें शिष्ट लेखकों और पाठकों दोनो ने खारिज करने का काम शुरू किया। सआदत हसन मंटो भारत मे जन्म लिए लेखक रहे और पाकिस्तान जाकर अपनी बातें बयां करते रहे। उनके लेखन ने उन्हें 3 बार भारत और 3 बार पाकिस्तान में कानूनी पचड़े में डाला। ये बात अलग है कि उन्हें कोई अश्लील सिद्ध नही कर पाया। धुआं, बु औऱ काली सलवार कहानियों ने मंटो को भारत के न्यायालय की सीढ़ियों में चढ़ाया तो खोल दो, ठंडा गोस्त, ऊपर कहानियों ने पाकिस्तान के न्यायलय में चक्कर कटवाए। मंटो को नसीहत मिली और जिंदगी यू ही चलती रही। उन्होंने न्यायालय में ये भी बताया कि वे प्रोनोग्राफर नहीं है लेखक है। उनकी संवेदनशीलता पर जब भी समाज की देखी हुई घटनाओं ने ठेस पहुँचाई है उन्होंने मन की कहा माना है लिखा है।
यदि आप मंटो के बारे में सुनी हुई बात के बजाय सही बात समझना चाहते है तो उनकी दो कहानियां तमाशा औऱ टोबा टेक सिंह जरूर पढियेगा। इससे मंटो को अश्लील लेखक मानने का भरमाया भी नही रहेगा।
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