काली कमाई का गुलाबीपन
लेखक - संजय दुबे
देश के नागरिकों की आम धारणा है कि व्यवस्थापिका औऱ कार्यपालिका के अधिकांश लोग संवैधानिक शपथ लेने के बावजूद आचरण के मायने में सद्चरित्र नही होते है। ईमानदारी से परे होकर अनुपातहीन संपत्ति अर्जित करते है। आम आदमी अक्सर इस बात को भी सार्वजनिक रूप से कहता है कि व्यवस्थापिका से जुड़े लोग बिना ज्ञात कारोबार के ऐसा क्या कारोबार करते है कि इनका रहन सहन बदल जाता है। इनके बाद कारोबारियो का नाम आता है ।इनके लिए भी धारणा है कि आय कम बता कर व्यापार में अनुचित लाभ कमाते है। निजी क्षेत्र से जुड़े सेवा क्षेत्र में लोगो के प्रति भी आय को छुपाने का आरोप है। कुल मिला कर पूरी दाल काली होने की बात है।
कमाई के दो रूप है एक है गाढ़ी औऱ दूसरी है काली कमाई। गाढ़ी कमाई को सार्वजनिक करना सभी की मजबूरी है लेकिन काली कमाई को छिपाने की बेबसी भी है। काली कमाई को रखने के कुछ प्रचलित तरीके है। नगद रखना, महंगे धातु टंगस्टन, प्लेटिनम, हीरा, सोना के रूप रखना, औऱ अचल संपत्ति के रूप में प्लॉट, कृषि भूमि सहित मकान आदि खरीदना।
जिनकी गाढ़ी आय सीमित है और काली कमाई असीमित है वे नगद के रूप में बड़े नोट रखने के लिए मजबूर होते है। नोट बंदी के बाद भारत सरकार ने 2000 रुपये का नोट निकाला था। इसके निकलने के साथ ही ये बात आम होने लगी थी कि इसका चलन अस्थाई है। अनेक बार बंद होने की अफवाहें उड़ी अंततः अब ये तय हो गया है कि इसकी भी एक्सपायरी 30 सितम्बर 2023 तय हो गयी है।
बाज़ार में 2000 के नोट प्रचलन से लगभग बाहर हो गए है ये तो सर्व ज्ञात बात है। 2000 का नोट किसी भी बैंक अथवा व्यापारिक संस्थान से मिलता ही नहीं था। बात साफ थी काली कमाई गुलाबी रंग ओढ़ कर अज्ञात स्थानों में सुरक्षित हो गयी थी। अंदाज़ा भी लगा सकते है कि रिज़र्व बैंक के अनुसार संख्या रूप में2000 रुपये के 181करोड़ नोट प्रचलन में है। जिनकी कीमत 3 लाख 62 हज़ार करोड़ रुपये है। इसमे से 95 फीसदी नोट तहखाने, लॉकर या ऐसे गुप्त स्थानों में रखे गए है जिसकी जानकारी केवल उस व्यक्ति को है जिसके पास है। यानी काली गुलाबी कमाई।जाहिर सी बात है कम जगह में ज्यादा मूल्य के नोट को रखने के लिए यही नोट बेहतर तरीका है। 1 अक्टूबर 2023 से 2000 नोट की जगह सबसे बड़ा नोट 500 का बचता है जो 2000 नोट की तुलना में चार गुना जगह घेरेगा। ये तो बाद की बात की है फिलहाल मुद्दा वापसी का है। रिज़र्व बैंक ने इस बार नोट बंदी जैसी आपाधापी औऱ बदलने के लिए वस्तु विनिमय का विकल्प नही रखा है। दो ही उपाय है वो भी सुनियोजित। पहला ये कि आप अपने खाते में जमा करिये वह भी एक दिन में केवल 10 नग। दूसरा एक्सचेंज वह भी एक दिन में 10 नग याने अधिकतम 20 हज़ार रुपये ही जमा होंगे या मिलेंगे।
23 मई से 30 सितम्बर 2023 की अवधि में शासकीय औऱ सार्वजनिक अवकाश को छोड़ कर कार्य दिवस में ये सुविधा रहेगी। मोटामोटी 100 दिन याने एक व्यक्ति अधिकतम 1000 नोट या तो जमा कर सकेगा या बदल सकेगा । कुल जमा 2 लाख ही एक व्यक्ति जमा कर पायेगा या बदल सकेगा।
मेरा अपना आंकलन है कि देश के 5.5 लाख गाँव मे रहने वालों के पास धोखे से 1 लाख नग 2000 के नोट निकल जाए तो बहुत बड़ी बात होगी। अधिकांश 2000 के नोट महानगरों या बड़े शहरों के बड़े नेताओं, अधिकारियों, व्यापारियों सहित सुविधा सेक्टर के बड़े लोगो के पास जमा है।
अगर इस योजना को मोदी सरकार की सुनियोजित योजना माने तो ये तीन राज्यो सहित आगामी लोकसभा चुनावों के पहले ब्लेक पूल को ध्वस्त करने की भी हो सकती है। जाहिर है कि सत्तारूढ़ पार्टी को ये लाभ रहता ही है कि योजनाएं ज्ञात होती है। इस कारण ये भी माना जा सकता है कि सरकार समर्थक पूर्व में ही तैयारी पूर्ण कर चुके होंगे। दिक्कत विपक्ष को होगा और उन व्यक्तियों को ज्यादा होगा जिनके काम देश विरोधी है जिन्हें नगद की हमेशा दरकार रहती है।दूसरा काली कमाई को सफेद करने के लिए एक बार फिर गरीब तबके पर आश्रित होना होगा।20000 पाने के लिए व्यक्ति खोजना एक नया काम होगा। जिसके खाते में जमा करवाया जाएगा उसके भरोसे रहना होगा। जो नोट बदलवाने जाएगा उससे उसका परिचय पत्र जरूर मांगा जाएगा।
नोट बंदी के समय बैंक कर्मियों की भूमिका संदिग्ध रही थी। कमीशन ले कर उन्होंने नोट बदला था। इस बार निश्चित रूप से रिज़र्व बैंक ने तरीका बेहतर अपनाया होगा।कुल मिलाकर" बड़ी" काली कमाई पर ये बड़ा गुलाबी प्रहार है
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