चाय बिना चैन कहां रे

लेखक - संजय दुबे

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सालो पहले की बात है तब गूगल जैसा सूचना देयक तंत्र उपलब्ध नहीं था। किताब या समाचार पत्रों से जितनी जानकारी मिलती वही खुद के ज्ञान का विस्तार होता था। एक समाचार पढ़ा था कि भारत मे एक दिन में जितनी चाय पी जाती है उतने पानी मे एक पानी जहाज भारत से वियतनाम पहुंच सकता है। गैलन में मात्रा भी लिखी हुई थी, जो मुझे याद नही है। याद तो ये आज दिलाया गया कि 21 मई को चाय का भी दिवस होता है।

 चाय के नाम पर करोड़ो लोग व्यथित हो जाते है अगर न मिले तो ऐसे प्रिय पेय पर न लिखा जाए तो ये जन्मजात पीने वाले चाय की तौहीन होगी।

 चाय यू तो महज पानी, शक्कर, चायपत्ती औऱ दूध का गरम सम्मिश्रण ही है। मौसम के हिसाब से ठंड बरसात पड़े तो अदरक, तुलसी, डल जाती है। लेकिन चाय के निर्माण में इतना ही सब कुछ नही है। मसाला चाय, बिना दूध की चाय(black tea)नींबू वाली चाय(leamon tea)कड़क चाय, औऱ न जाने कितने प्रकार की चाय बाज़ार में है।

एक सर्वे के अनुसार हनुमान मंदिर और चाय की दुकानों की संख्या लगभग बराबर ही है। चाय टपरे से लेकर साधारण होटलों से लेकर पंच सितारा होटलों मेंमिला करती है।फर्क कप से लेकर मूल्य का ही होता है।

 कुछ समय पहले प्रयोगधर्मी शहर बेंगलुरु जाना हुआ था। एमबीए चायवाला के यहां गए। 105 प्रकार की चाय का उल्लेख था। इसके बिजनेस चैन होने की जानकारी मिली। टर्न ओवर भी करोड़ो का बताया गया। आश्चर्य हुआ कि चाय को भी कोई कितने बेहतर प्रबंधन के साथ पिला सकता है।

देश के हर नगर में चाय की दुकानों की बरसात हो गयी है। बड़े बड़े बिजनेसमैन इस व्यापार में आ गए है।कागज के कप से लेकर मिट्टी के कुल्लहड़ औऱ आकर्षक कप में चाय सर्व हो रही है। चाय बनाने के तरीके में नित नए अनुसंधान हो रहे है। कुल मिला कर चहेडियो की संख्या बढ़ाने में हर कोई चाय वाला मशगूल है। चाय तात्कालिक ऊर्जा देयक पेय माना जाता है। इस कारण इस एनर्जी ड्रिंक की पूछ परख बढ़ते जा रही है। मेहमानवाजी के लिए विख्यात इस पेय को अंग्रेजों ने लेकर देश मे परोसा था। मुफ्त में पिलाते थे चौक चौक में। आज सब भुगतान कर चाय पी रहे है। ये चाय महिमा है। आप कट चाय पीकर लेख को फिर से पढ़ सकते है


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