राष्ट्रीय रामायण महोत्सव : इंडोनेशिया से आए कलाकारों की प्रस्तुति

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 जैसे जैसे उत्साह बढ़ता है कहानी बढ़ती है। संगीत तीव्र होता जाता है।आंखों की मुद्राओं से बताया जा रहा है कि किस तरह सीता जी का हरण हुआ। दर्शकों के लिए चकित करने वाला दृश्य।बांसुरी जैसे वाद्ययंत्रों के अद्भुत सुरों के साथ बढ़ रही रामकथा। 

केवल भाव मुद्रा में ही पूरे प्रसंग का जीवंत वर्णन।यह बड़ी बात है कि इस कला में उनकी सांस्कृतिक धरोहर भी है और राम जैसे उदात्त चरित्र को अपनाने की चेष्टा भी।

रावण का प्रवेश हुआ और अब रावण की हरण की चेष्टा दिख रही है।खास बात यह है कि सीता जी का स्पर्श किये बगैर अपनी चेष्टाओं से ही कलाकार ने रावण द्वारा हरण का दृश्य दिखाया

यह एक बैले जैसी प्रस्तुति है।

आखिर में स्थानीय भाषा में गीत भी गाये जा रहे हैं जिससे पूरी कथा स्पष्ट हो रही है।

 

अशोक वाटिका का दृश्य, इसमें हनुमान जी मुद्रिका लेकर जाते हैं। आरम्भ हुआ है। 

हनुमान जी ने जो लंका दहन किया और भयंकर ऊर्जा से लंका का नाश किया। उसकी अभिव्यक्ति है।

हनुमान जी मुद्रिका लेकर पहुंचते हैं और श्री राम को दिखाते हैं।

आखिर चरण में राम रावण युद्ध होता है। लक्ष्मण राम के हाथों धनुष देते हैं। 

रोचक बात यह भी है कि हनुमान जी भी रावण के साथ द्वंद्व कर रहे हैं।

राम और सीता पुनः एक होते हैं। 

आगे राम सीता, फिर लक्ष्मण, पीछे हनुमान जी।

 तुमुल ध्वनि से लोगों ने किया जयजयकार।

आवाज इतनी गूंजी है कि इंडोनेशिया तक पहुंच गई लगती है


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