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अत्यावश्यक सेवा संधारण को देखते हुए शासन ने पटवारियों के कार्य करने से इंकार किये जाने का किया प्रतिषेध
विगत 15 मई से जारी पटवारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल के चलते आम जनता के राजस्व संबंधी कार्यों के निपटारे में काफी कठिनाई आ रही थी। राजस्व विभाग से जुड़ी अत्यावश्यक सेवाओं में हो रही बाधा के चलते शासन ने पटवारियों के कार्य करने से इंकार किये जाने का प्रतिषेध किया है। राज्य सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ अत्यावश्यक सेवा संधारण तथा विच्छिन्नता निवारण अधिनियम, 1979 की धारा 4 की उपधारा 1 तथा 2 में प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए राजस्व विभाग के पटवारियों के लिए यह आदेश जारी किया है। यह आदेश 7 जून से प्रभावीशील किया गया है और आगामी 3 महीने के लिए प्रभावशील रहेगा।
उल्लेखनीय है कि इस एक्ट के अंतर्गत राजस्व विभाग से जुड़ी अत्यावश्यक सेवाएं भी आती हैं। शासन ने लोकहित में यह निर्णय लिया है। पटवारियों के हड़ताल के चलते शिक्षा सत्र चालू होने एवं रिक्त पदों की भर्ती प्रक्रियाधीन होने से विद्यार्थियों को जाति, निवास एवं आय प्रमाण पत्र प्राप्त करने में कठिनाई हो रही है। इन जरूरी दस्तावेजों के नहीं बनने से इन विद्यार्थियों को आने वाली दिक्कतों को संज्ञान में लेते हुए यह आदेश जारी किया गया है। साथ ही कृषि कार्य भी आरंभ होने वाला है। ग्रामीण क्षेत्रों में सीमांकन, बटांकन और नामांतरण की कार्यवाही शासकीय योजनाओं का लाभ लेने अत्यावश्यक है। पटवारी प्रतिवेदन के अभाव में राजस्व न्यायालयों का कार्य प्रभावित हो रहा है। इन सभी दिक्कतों को दृष्टिगत रखते हुए यह निर्णय लिया गया कि अत्यावश्यक सेवाओं की पूर्ति में बाधा होने से लोक हित प्रभावित हो रहा है और लोगों का कार्य सुचारू रूप से हो सके, उन्हें किसी तरह की दिक्कत न आये, इसके चलते यह आदेश जारी किया गया है।
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