कमजोर वेस्टइंडीज
लेखक - संजय दुबे
डोमिनिका ( वेस्टइंडीज) में खेले गए पहले टेस्ट की पहली पारी में वेस्टइंडीज की टीम 150 रन बनाकर आउट हो गयी। जिस देश की टीम में क्लाइव वॉलकाट, इवर्टन विक्स, रोहन कन्हाई, कोरनार्ड हंट, गैरी सोबर्स, रॉय फेरडिक्स, क्लाइव लॉयड, कालीचरण, गार्डन ग्रीनिज, डेसमंड हेंस, विवियन रिचर्ड्स,लांस गिब्स, जोएल गार्नर, एंडी राबर्डस, माइकल होल्डिंग, कोर्टनी वाल्स , ब्रायन लारा जैसे खिलाड़ी रहे हो। ये देश 1980 के दशक में ऐसी टीम थी कि दुनियां का कोई भी देश इस टीम के खिलाफ खेलने के पहले बहुत हिम्मत जुटाता था। 1990 के दशक में इस देश में खिलाड़ियों का ऐसा अकाल छाया कि कभी दो एक दिवसीय विश्व कप जीतने वाला देश इस साल के विश्वकप आयोजन में सहभागी नही रहेगा।
याद करता हूं 1948 में वेस्टइंडीज की टीम भारत आई थी। भारत को क्रिकेट खेलते बामुश्किल 16 साल हुए थे। जिसमें द्वितीय विश्वयुद्ध के छः साल भी शामिल थे। नई दिल्ली में खेले गए पहले टेस्ट में वेस्टइंडीज के चार बल्लेबाज़ क्लाइव वॉलकाट(152) ईवर्टन विक्स(128) रॉबर्ट क्रिस्टियानी(107) औऱ गैरी गोमेन(101) की मदद से 631 रन बनाए थे। भारत को 452 रन बनाने के बाद फॉलोऑन खेलना पड़ा और दूसरी पारी में 220 रन पर 6 विकेट गिरे। मैच ड्रा रहा था लेकिन इस टीम में कितने प्रतिभाशाली खिलाड़ी थे और ये टीम भविष्य में कैसी रहेगी। भारत 1948 से अगले बाइस साल तक इस देश से सीरीज़ नही जीत पाया था। इस देश मे सबसे अधिक8032 रन बनाने वाले गैरी सोबर्स औऱ सबसे अधिक 307 विकेट लेने वाले लांस गिब्स हुआ करते थे। 1980 के दशक में पेस बैटरी के नाम से जोएल गार्नर, एंडी रॉबर्ट्स, माइकल होल्डिंग, मैल्कम मार्शल ऐसे तेज़ गेंदबाज थे जिनकी बॉल का मर्म बल्लेबाज़ ड्रेसिंग रूम में शर्ट उतारते तो लाल चकते गिनने से समझ मे आता था। पहले सात क्रम तक डेसमंस हेन्स, गार्डन ग्रिनीच, रिचर्ड्स, रिचर्डसन, क्लाइव लॉयड, कालीचरण, जेफरी डुजान जैसे बल्लेबाज़ हुआ करते थे। भारतीय टीम के खिलाड़ी मदनलाल ने कहा था कि उनको वेस्टइंडीज टीम का कप्तान बनाना अच्छा लगेगा क्योकि वहां कप्तान को कुछ करने की जरूरत ही नही होती है।
1983 में भारत ने वेस्टइंडीज कोएकदिवसीय प्रूडेंसियल कप टूर्नामेंट में हरा दिया ।इस हार के बाद वेस्टइंडीज की टीम भारत दौरे पर आई थी। 6 टेस्ट की सीरीज में भारत को 3-0 से बुरी कदर हराया था।
90 के दशक से वेस्टइंडीज की टीम प्रबंधन में ऐसी गिरावट आई कि दिन ब दिन साल दर साल यहां की टीम कमजोर होते गयी। कभी ब्रायन लारा आये, तो कभी शिवनारायण चंद्रपाल आये कभी केविन पोलार्ड आये तो कभी क्रिस गेल लेकिन टीम कभी नही बन पाई। आज स्थिति ये आ गयी है कि इस देश का कोई भी खिलाड़ी अपना नाम स्थाई रूप से कायम नही रख पा रहा है।
भारत, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, जैसी सशक्त टीम नही है फिर भी वेस्टइंडीज के खिलाफ 2006 से लेकर 2023 तक खेले गए 7 टेस्ट सीरीज में हारा नही है। विदेश में जीतना हो तो वेस्टइंडीज से बेहतर टीम कोई नही है ऐसा माना जाता है। वेस्टइंडीज को कितने गम्भीरता से लिया जा रहा है इसका अंदाज़ा भारतीय क्रिकेट टीम के चयन से ले सकते है जो अनेक नवोदित खिलाड़ियों को आजमाने के लिए भेजा है। बहरहाल वेस्टइंडीज को याद किया जाता है तो बरबस सुनील गावस्कर जरूर याद आते है। वे वेस्टइंडीज के खिलाफ अक्सर शानदार खेल दिखाया करते थे। सुनील गावस्कर ने वेस्टइंडीज के खिलाफ 27 टेस्ट में 2749 रन 65 रन के औसत से बनाये थे औऱ 13 शतक लगाए थे। वे 1971 में बिना हेलमेट के दुनियां के सबसे तेज़ गेंदबाज़ों की चौकड़ी की गेंदबाजी के विरुद्ध बेहतरीन बल्लेबाजी को पुराने क्रिकेट प्रेमी आज भी याद करते है
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