हरमन "अ" प्रीत कौर
लेखक - संजय दुबे
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की कुछ महिला क्रिकेटर्स से दीगर देश की महिला खिलाड़ी थर्राती है इनमें से एक नाम भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान हरमनप्रीत कौर है। मैदान में उनके आने का एक मतलब होता है।दमदार बल्लेबाज़ी, पहले धीमी गति से औऱ फिर निगाहे जम जाए तो फिर चार औऱ छः रनों की बरसात मैदान में देखने को मिलती है। स्वभाव से वे जोखिम उठाने वाली है और आक्रामकता उनकी कप्तानी में झलकता है ।एक ये वजह भी है कि आसानी से हारना नही चाहती, मुश्किल से जीत के लिए जूझती है। हाल ही में बांग्लादेश में एकदिवसीय मैच की सीरीज के आखिर मैच में जो घटिया या कहे स्तरहीन अंपायरिंग हुई उसकी हरमनप्रीत भी शिकार हो गयी। बैट से स्टंप उखाड़ दिया।अम्पायर को भी सुना दिया।भारत के तीन खिलाड़ी गलत अम्पायरिंग के शिकार हुए।मैच टाई हो गया। हरमनप्रीत का गुस्सा शांत नही हुआ। संयुक्त विजेता घोषित होना भी नागवार गुजरा। बस, कह दिया कि अगली बार बांग्लादेश देश आएंगे तो अंपायरिंग के लिए भी सोंच कर आएंगे। इससे भी दिल नही भर तो ट्रॉफी लेते वक्त अम्पायर को भी आने के लिए कह दिया। सच, कडुवा होता है लेकिन सच कहना कडुवा होगा ये हरमनप्रीत समझ न सकी। उनका व्यवहार अप्रिय माना गया और इंटरनेशनल क्रिकेट कमेटी ने हरमनप्रीत पर अगले दो मैच खेलने पर प्रतिबंध लगा दिया। मैच फीस भी 50 फीसदी काट दी गयी।
भारत को एशियाई खेलों में महिला क्रिकेट का गोल्ड मेडल पक्का दिख रहा था उसमें ये व्यवधान आ गया कि भारत को दो मैच हरमनप्रीत के बिना खेलना होगा।
आमतौर पर महिला खिलाड़ी कम से कम भारत मे स्वभाव से शांत मानी जाती है। गलत भी हो रहा है तो प्रतिरोध नही कर पाती।इसका फायदा दीगर लोग उठाते है। बांग्लादेश में भी यही हुआ सीरीज़ हारती बांग्लादेश की टीम को घटिया अंपायरिंग का फायदा मिल गया। तीसरे अम्पायर की व्यवस्था न होने के कारण परिस्थिति खराब होते गयी।
हरमनप्रीत इसे बर्दास्त न कर पाई और सार्वजनिक रूप से व्यवहार को उचित नही रख पाई।
आजकल खेल में खिलाड़ी भावना और अनुशासन को सर्व प्राथमिकता दी न रही है। मैदान में उपस्थित हज़ारों दर्शकों ओर टेलीविजन में लाखो दर्शकों के सामने सदाचरण की उम्मीद की जाती है ताकि दीगर लोग प्रेरणा ले तो बेहतर ले।
हरमनप्रीत का आचरण, कतई अच्छा नही था।जीत हार से परे भी खिलाड़ियों को अपने देश, खेल, खिलाड़ी सभी का प्रतिनिधित्व करना होता है। अंतरराष्ट्रीय संबंध को भी कप्तान होने के नाते समझना पड़ता है। हरमनप्रीत ने लगभग सभी दायरे को पार कर दिया।
इसका नतीजा निकलना ही था और निकल गया।हरमनप्रीत को अगले दो मैच खेलने पर आईसीसी ने प्रतिबंध लगा दिया।मुझे याद नही है कि पिछले कई सालों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किसी महिला खिलाड़ी पर कदाचरण का मामला बना हो और प्रतिबंध लगा हो। बहरहाल हरमनप्रीत कौर ने भी गलती मान ली है औऱ एशियाई खेलों में पहले दो मैच में वे नही दिखेंगी।इसका अर्थ ये भी है कि स्मृति मांधना दो मैच की कप्तान होंगी और हरमनप्रीत बाहर से अदृश्य कप्तानी करेंगी
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