चावल के करौरी जैसे लोकप्रिय प्रोडक्ट गुणवत्ता के साथ आकर्षक पैकेजिंग में उपलब्ध करा रहे हैं निपुण

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 निपुण रायपुर जिले के गांव निलजा निवासी हैं और वहीं रीपा में अपना छोटा सा उद्यम कर रहे हैं। उन्हें छत्तीसगढ़ शासन की रीपा योजना से सहयोग मिल रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि अपने प्रोडक्ट को प्रमोशन करने का और इसकी गुणवत्ता के लिए उनका काम बेहद खास है। वे सिर्फ छत्तीसगढ़ी व्यंजनों को प्रमोट कर रहें हैं और देश-विदेश के बाजारों में स्थापित करने की इच्छा रखते है।

 

निपुण ने ऐसे क्षेत्र में कदम रखा है जिसके बारे में कोई भी उद्यमी नहीं सोचता। उन्होंने विशेष कर करौरी तथा चावल से बने अन्य उत्पादों को लेकर अपना उद्यम शुरू किया है। करौरी लोग भोजन के साथ अथवा खाने के साथ बड़े शौक से खाते हैं लेकिन पहली बार किसी ने इसे आकर्षक पैकेजिंग में बाजार में लाने का निश्चय किया है। वे भात बड़ी मुरकू, चावल से बना मिक्चर और चावल और रागी से बने बिस्किट बना रहें है। विशेष रूप से मेक्सिकन डिस नाचोस जो बाजार में डारिटोस के नाम से बिकता है। उसका छत्तीसगढ़िया चावल से निर्मित और हेल्दी रूप में प्रस्तुत कर रहें है।

   

निपुण को रायपुर जिले के निलजा रीपा में जगह और शेड सहित मशीन मिला है जिसमें उद्यम संचालित कर रहें है। निपुण एग्रीकल्चर इंजीनियर है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने युवा उदयमिता के लिए अच्छा माहौल बनाया है। रीपा में अधोसंरचना है। बिजली है। पानी है। बैंक से लिंकेज है। मैंने मुख्यमंत्री को अपने कार्य के बारे में बताया। उन्होंने मेरे कार्यों को सराहना करते हुए दो लाख रुपए की मदद की घोषणा भी की। मुख्यमंत्री युवाओं को बहुत हौसला देते हैं। इससे सभी रीपा में युवा उद्यमी बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं। उन्होंने युवाओं के लिए उल्लेखनीय काम किए है।

 

निपुण ने बताया कि हमारे यहां चावल के व्यंजन ही लोकप्रिय हैं। बिना चावल के भोजन होता ही नहीं। पहले लोग चावल के साथ करौरी भात बड़ी आदि चीजें भी खाते थे। अब बिजौरी जैसे उत्पाद तो बाजार में उपलब्ध हैं लेकिन करौरी, भात बड़ी जैसे व्यंजन नहीं मिलती इसलिए लोगों ने इसे खाना भी कम कर दिया है। 

हमने इसे विशेष रूप से बनाया है ताकि यह और भी स्वादिष्ट हो सकें। हाइजिन का ध्यान रखा है और इसे आकर्षक पैकेज में प्रस्तुत किया है। अपनी यूनिट का नाम उन्होंने राइस बाउल रखा है। निपुण ने इसके लिए वेबसाइट भी बनाई है और डिलीवरी पार्टनर भी तैयार किये हैं जिसके माध्यम से ग्राहकों तक प्रोडक्ट सप्लाई की जा रही है।

 

उन्होंने बताया कि अभी मेरी शुरूआत हुई है और अभी तो आठ दृदस हजार रुपए ही लाभ हो रहा है लेकिन यह बिल्कुल शुरूआत है और लंबे सफर की शुरूआत है। अंकल चिप्स बनाने वालों ने भी ऐसे ही शुरूआत की होगी। मेरा सपना है कि मैं इससे भी आगे जाऊं। मैंने यूट्यूब में और सोशल मीडिया के सभी माध्यमों में इसका प्रचार किया है। धान के कटोरे के निवासी देश-विदेश में बसे हैं उन तक भी प्रोडक्ट प्रमोशन हो रहा है। अच्छी चीजें रूकती नहीं, बढ़ती ही जाती हैं। उल्लेखनीय है कि महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क के माध्यम गावों में आत्मनिर्भरता आई है। राज्य सरकार की इस नवाचारी पहल से उद्यमियों को बड़ा सहारा मिला है। गावों के गौठानों में अब तक 300 रीपा का निर्माण हो चुका है, जहां लोगों को आजीविका की गतिविधियों के लिए पर्याप्त साधन और सुविधाएं मिली है। ग्रामीण उद्यमियों के अपने पसंद का उद्यम संचालित करना आसान हो गया है।


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