विकेन्द्रीकृत वार्षिक जिला योजना तैयार की जाएगी

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छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा राज्य योजना आयोग को विकेन्द्रीकृत जिला योजना निर्माण, समीक्षा, इन योजनाओं के आधार पर संसाधन वितरण की प्राथमिकता निर्धारित करने, राज्य शासन को समय-समय पर समुचित सुझाव देने का दायित्व प्रदान किया गया है। जिला स्तर पर विकेन्द्रीकृत वार्षिक योजना बनाए जाने के संबंध में संविधान में तथा राज्य द्वारा इस संबंध में बनाए गए अधिनियमों में विस्तृत प्रावधान किए गए हैं, जिनके अनुसार जिले के ग्रामीण तथा नगरीय निकायों द्वारा उनके क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास की योजनाएं बनाई जाएंगी तथा इन योजनाओं को जिला योजना समिति द्वारा संकलित कर विकेन्द्रीकृत वार्षिक जिला योजना तैयार की जाएगी। यह उल्लेखनीय है कि जिला कलेक्टर, जिला योजना समिति के पदेन सदस्य सचिव हैं।

 

राज्य योजना आयोग द्वारा पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग तथा नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग से समन्वय कर वर्ष 2024-25 के लिये विकेन्द्रीकृत जिला योजना तैयार करने के लिये नवा रायपुर द्वारा विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं। राज्य के समस्त कलेक्टर्स समस्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत तथा अन्य संबंधित विभागों को इसकी प्रति प्रेषित की गई है तथा विकेन्द्रीकृत वार्षिक जिला योजना तैयार कर जिला योजना समिति से अनुमोदित कराने के उपरांत राज्य योजना आयोग को 30 सितम्बर 2023 तक प्रेषित किए जाने के निर्देश दिए गए हैं।

 

राज्य योजना आयोग के द्वारा जारी विस्तृत दिशा-निर्देश के अंतर्गत ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास की योजनाएँ बनाने हेतु स्थानीय स्तर पर आवश्यकताओं का क्रम निर्धारित करना होगा। इसके लिये राज्य योजना आयोग द्वारा तैयार किये गये SDG डिस्ट्रिक्ट प्रोग्रेस रिपोर्ट को आधार बनाया गया है। इसके अतिरिक्त स्थानीय स्तर पर ग्रामीण एवं नगरीय निकायों से निकलकर आने वाली आवश्यकताओं को भी स्थानीय योजनाओं में पर्याप्त महत्व मिल सके, इसका प्रावधान भी रखा गया है। उपाध्यक्ष, राज्य योजना आयोग श्री अजय सिंह द्वारा समस्त जिलों के कलेक्टर्स को पृथक से भी लेख करते हुये दिनांक 30 सितम्बर 2023 तक जिले की विकेन्द्रीकृत वार्षिक योजना भेजने के निर्देश दिए गए है।

 

आयोग द्वारा विकेन्द्रीकृत वार्षिक जिला योजना बनाए जाने के संबंध में दिशा-निर्देश जारी करते हुये आशा की गई है कि संविधान की मूल भावना के अनुरूप स्थानीय आवश्यकताओं के आधार पर स्थानीय लोगों द्वारा तैयार की गई। योजना शासन तक पहुंच सके तथा विकास कार्यों के लिये आबंटन जारी करते समय शासन के निचले स्तर पर अनुभूत की जाने वाली आवश्यकताओं को ध्यान रखा जा सके।


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