पिंकसिटी प्रेस क्लब में आयोजित हुआ "सोवियत संघ:क्रांति से विघटन तक" पुस्तक विमोचन समारोह

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कांग्रेस नेता और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के मीडिया सेल के चैयरमेन पवन खेड़ा ने कहा कि

हम खुद अपनी विचारधारा को समझ नहीं पा रहे है। हर दशक में विचाधारा में नई जान फूंकनी पड़ती है।

यह देश किसी राह पर चल सकता है तो मध्यम मार्ग पर ही चल सकता है और इस राह पर चलने में बहुत कठिनाई आती है। खेडा पिंकसिटी प्रेस क्लब में आयोजित *सोवियत संघ:क्रांति से विघटन तक* पुस्तक विमोचन समारोह में मुख्य अतिथि थे। यह पुस्तक दिल्ली के श्यामाप्रसाद मुखर्जी कॉलेज की वरिष्ठ सहायक प्रोफेसर डॉ चयनिका उनियाल ने लिखी है। उन्होंने कहा कि रूस की क्रांति लेखकों और विचारों की क्रांति थी। इस तरह की पुस्तकों की आज आवश्यकता है। 

कोई परफेक्ट सिस्टम अभी तक नहीं मिला है। नई पीढ़ी को पढ़ना बंद नहीं करना होगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही श्यामाप्रसाद मुखर्जी कॉलेज दिल्ली की प्रिंसिपल प्रोफेसर साधना शर्मा ने कहा कि हमें वसुदेव कुटुम्बकम को ही मानना पड़ेगा। इसका मतलब सबको प्यार करना है।

हमारे को विचाधारा नहीं पढ़ाने वाले चाहिए। सच में मीडिया के लोगों को देखकर दुख होता है। अब एंकर ही पार्टी के प्रवक्ता नजर आ रहे है। पत्रकारिता का मतलब ही विरोध है। अच्छे टीचर होंगे तो अच्छे इंजीनियर, डॉक्टर लेखक हमारे देश में होंगे। गांधी को कई बार पाठ्यक्रम में हटाने की कोशिश की लेकिन गांधी विचार है। इसे हटाया नहीं जा सकता।

 

वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी ने कहा कि यह किताब हिंदी में लिखी गई है। किताब में रूस में क्रंति तो हुई वहां लेनिन माक्र्स जैसे क्रांतिकारी नेता हुए जिनका 

हमको इस बात की परीक्षा देनी पड़ रही है कि हम राष्ट्रवादी की परीक्षा देनी पड़ रही है। ऐसा माहौल पैदा जिसमें घुटन पैदा हो रही है।

हम ऐसे आततायी दौर से गुजर रहे है 

आज इमरजेंसी नही है लेकिन ऐसा लग रहा है इससे ज्यादा बुरे दौर से गुजर रहे है। लोगों की आस्था अब पत्रकारिता

आज के दौर में मीडिया पर लोगों का विश्वास खत्म हो गया।

अब नेता मंत्रियों के लेख छप रहे है। हिंदी के अखबारों में अंग्रेजी लेखकोँ के लेख छप रहे है। अजीबो गरीबो घुटन का समाज बनाया जा रहा है। बार बार कह रहे है दुनिया के सबसे लोकतंत्र से है लेकिन वास्तव में क्या हम लोकतंत्र को जी रहे है। महात्मा गांधी इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस के निदेशक डॉ बी एम शर्मा ने भारत और सोवियत संघ के संबंधों पर प्रकश डाला। पुस्तक की लेखक डॉ चयनिका उनियाल ने पुस्तक के विषय के बारे में जानकारी दी।

कार्यक्रम का संचालन डॉ आमना मिर्जा ने किया।इस मोके पर बड़ी संख्या में लेखक, पत्रकार, बुद्धिजीवी उपस्थित थे।


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