50का फटा नोट
लेखक- संजय दुबे
पांच -छः महीने से पर्स में 50 का नोट स्थाई डेरा जमाए हुए था। ये फटा नोट ईमानदारी और बेईमानी की मानसिकता के बीच पर्स से बाहर आता लेकिन फिर वापस चला जाता। 50 रुपये के फटे नॉट को मैंने कई बार चाय दुकान,सब्जी बाजार, ऑटो , कुम्हार के अलावा किराना दुकान में निकाला लेकिन मन नहीं माना और ऐसा करते करते 50 का फटा नोट पांच महीने से लगभग स्थाई निवासी हो चला था।
कई बार मन मे आया कि बैंक में जाकर बदलवा लूं लेकिन बैंक वालो की नजर में खुद की क्षुद्रता आड़े आ गयी। रास्ते मे फटे पुराने नोट बदलने के इश्तहार भी देखा लेकिन हिम्मत नही हुई। कुल मिलाकर ये फटा नोट तनाव देने लगा था।भारतीय मुद्रा होने के कारण इसे फाड़ा या फेंका भी नही जा सकता था। अंततः बुद्धि लगाया पारदर्शी सेलोटेप से बड़े करीने से फटे हिस्से को चिपका दिया। मन संतुष्ट था कि नोट फटा नही है लेकिन एक विचार ये भी आया कि आखिर फटे हिस्से को जोड़ा गया है।
मंगलवार को मेरे घर एक विकलांग मंगल बाबा आते है,बिना नागे के, उनको चाय, नाश्ता के अलावा 50 रुपये हर सप्ताह देने की परंपरा दसो सालो से है। दान के बछिया के दांत नही देखे जाते, अब ये बात मन मे आ गयी।सालो से 50 रुपये देते आ रहा हूं अगर
एक सेलोटेप लगा नोट बाबा को दे दूँ तो कम से कम ये फटा नोट मुझसे तो विदा होगा। बाबा जिस किसी को ये नोट देंगे वो भी सहानुभूति पूर्वक ले ही लेगा।
मंगलवार आया, मंगल बाबा आये और मैंने उनको 50 का नोट मोड़ कर थमा दिया। बाबा ने हमेशा की तरह दुआ दी और अपना ट्राईसाइकिल चलाते चले गए।
अब एक नया पेच आगया था। मन का चोर धिक्कारने लगा था। तुम्हे मिला भी एक जरूरतमन्द व्यक्ति! अगर वह किसी जगह पर जाकर 50 का जोड़ा गया नोट देगा और सामने वाले ने वापस कर दिया तो.....!
ये कह दिया कि "क्या बाबा अपने विकलांगता के बदले सहानुभूति बटोर रहे हो।"
मन मे पश्चाताप भर गया कि फटा नोट किसी जरूरतमंद व्यक्ति को देकर धोखा तो किये हो। इंसान की एक फितरत होती है कि अगर गलती हुई है और सुधारना चाहे तो विकल्प उसके पास होते है। मैंने तय कर लिया कि अगले मंगलवार को मंगल बाबा आएंगे तो 100 रुपये का सेघा, बिना फटा हुआ नया नोट देकर कर गलती मान लूंगा।
मंगलवार आया, लेकिन मंगल बाबा नहीं आये, अमूमन 8 बजे तक आ जाते थे लेकिन पूरा दिन निकल गया। ये भी नही पता था कि आते कहाँ से है। मन कचोट रहा था कहां 50 का फटा नोट जोड़ कर दे दिया।
अगले मंगलवार को मै सुबह साढ़े सात बजे से बाहर खड़ा था। दूर से मंगल बाबा आते दिखे। घर के सामने आए तो चाय, नाश्ता औऱ 100 रुपये का नोट उनको दे दिया।
"बाबा, पिछली बार आपको 50 का फटा नोट दे दिया था, माफ करेंगे।"
28 रुपये में फटे पुराने नोट लेने वाले के दुकान में चल गया था, भैया।
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