चांद को क्या मालूम!
लेखक- संजय दुबे
चांद, चंदा, चंद्रमा, की केवल सौर मंडलीय उपलब्धि सीमित नही है। हिन्दू धर्म मे मान्यता प्राप्त पूज्यनीय है। स्त्रियां, साल में एक दिन उनके निकले बिना भोजन नही करती है।पानी नही पीती है। धार्मिक सौंदर्य में चंद्रमा शिव के श्रृंगार है। वेद पुराण में राहु केतु द्वारा ग्रसित किये जाने का उल्लेख है जिसे चन्द्र ग्रहण के नाम से जाना जाता है।
इश्लाम धर्म मे चांद की अपनी अहमियत है। ईद , चांद दिखे बिना नही मन सकती है। संभवतः इश्लाम धर्म के अनुयायियों के पूर्वज रेतीले इलाके के मूलतः रहे होंगे जहां सूरज की तपिश को चंद्रमा की शीतलता ही मलिन करती रही।इसी कारण उनके धर्म मे चांद, इष्ट है।
धर्म से परे साहित्य में चंद्रमा, जिसे भले ही पास से देखने मे उबड़ खाबड़ सतह दिखे लेकिन सौंदर्य शास्त्र में चंद्रमा महबूबा के लिए सदैव से ही उपयोग होते आया है। शायद महबूबा का दीदार महबूब को मन की शांति देता है ऐसा ही मान कर "चांद सी महबूबा हो मेरी कब ऐसा मैंने सोचा था" जैसा गाना सृजित हो गया। भारतीय फिल्म उद्योग में बीते91 सालों में पांच छः सौ गानों में चांद, चंदा, के आधार पर ही गाने गीतकारो ने लिखे है। गायक गायिकाओं ने गाये है। याद करके देखे आनंद आएगा।
हिन्दू संस्कृति में महिलाओं ने चंद्रमा के साथ भाई का रिश्ता बनाया है जिसका कारण समुद्र मंथन में लक्ष्मी और चंद्रमा निकले थे। लक्ष्मी को माता माना जाता है इस कारण चंद्रमा भाई माने गए।माँ के भाई मामा माने जाते है इस कारण चंदा मामा भी है।
दो दिन पहले हिंदुस्तान का विक्रम चंद्रयान चांद के सरजमीं पर उतर गया। विक्रम से पहले भी कई यान उतरे।12 व्यक्ति भी उतर गए।हम लोग नील आर्मस्ट्रांग को आज तक याद रखे है। सौर मंडल क्या इंसान की नज़र जहां जहां गयी उसे उत्सुकता होते गयी और प्रयास भी चले।सफलता भी मिली।असफल भी हुए लेकिन हिम्मत नहीं हारे। हिंदुस्तान भी साल पहले असफल हुआ था बहरहाल इसरो के डायरेक्टर "सोम"नाथ जी के हिस्से में सफलता आयी और उनके टीम एफर्ट के चलते देश विदेश मे वैज्ञानिकों को सराहना मिल रही है। जिसके लिए वास्तव में वे सभी हकदार है। पृथ्वी के उपग्रह के रूप में चंद्रमा की अपनी महत्ता है। जिसके चलते चार देश उपलब्धि के टैबल पर है।
प्रश्न ये उठता है कि क्या चांद पर इंसान के या यान के उतर जाने से हमारी धार्मिक- सामाजिक आस्था पर कोई प्रभाव पड़ेगा? इसका उत्तर है- नहीं। विज्ञान, वैज्ञानिक सोंच है।जिसकी अपना अध्ययन क्षेत्र है। धर्म, संस्कृति और सामाजिक परिवेश का अपना अलग दायरा है जिसे खंडित नही किया जा सकता है। यकीन न आये तो अगले शरद पूर्णिमा या ईद में देख लेना। खीर भी बनेगी औऱ सेवई भी
About Babuaa
Categories
Contact
0771 403 1313
786 9098 330
babuaa.com@gmail.com
Baijnath Para, Raipur
© Copyright 2019 Babuaa.com All Rights Reserved. Design by: TWS