मिनी राईस मिल खुलने से महिलाएं बन रही हैं आत्मनिर्भर

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गांव की महिलाएं भी अब आत्मनिर्भर बनकर परिवार को आर्थिक सहायता करने के लिए आगे आ रही है। जिले के बस्तर ब्लॉक अंतर्गत तारागांव निवासी सोमारी मौर्य ने अपने गांव में ही मिनी राईस मिल खोलकर बहुत खुश हैं। गांव वाले भी अब मिनी राईस मिल में अपना धान कुटवाने आ रहे हैं। सोमारी मौर्य ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि ग्रामीण आजीविका मिशन की सहायता से गांव में ही मिनी राईस मिल खोलकर अब आर्थिक रूप से सक्षम बनकर अपने परिवार की तकदीर बदल चुकी हैं।   

 

सोमारी मौर्य ने बताया कि समूह से होने वाले लाभ के बारे में जानने-समझने का अवसर मिला और छोटी-छोटी ऋण लेकर समय पर चुका देना और अपनी आर्थिक गतिविधि को बढ़ाने में ध्यान दी, जिससे वह परिवार की छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा करने के लिए मदद देने लगी। बैंक लिंकेज की सहायता से गांव में ही मिनी राईस मिल स्थापित कर ग्रामीणों को धान मिलिंग की सुविधा उपलब्ध करवा रही हैं।

 

सोमारी ने बताया कि स्व सहायता समूहों के क्लस्टर बैठक के दौरान अपनी सोच को साझा कर इस बारे में सलाह भी ली। समीपवर्ती गांवों के ग्रामीणों की जरूरतों के अनुसार स्थानीय स्तर पर मिनी राईस मिल स्थापित करने का मार्गदर्शन मिला। सोमारी ने इस बारे में घर के सदस्यों को भी अवगत कराया तो वे भी इस संबंध में सहमत हो गये। सोमारी ने इस दिशा में समूह के बैंक लिंकेज का 50 हजार रुपये ऋण लेकर व्यवसाय सम्बन्धी 3 दिवसीय प्रशिक्षण भी प्राप्त की। इसके पश्चात उन्होंने अपने घर पर ही मिनी राईस मिल स्थापित कर किसानों और ग्रामीणों के धान का मिलिंग शुरू कर की। इससे ग्रामीणों को भी स्थानीय स्तर पर धान मिलिंग की सुविधा मिली। सोमारी अपनी इस मिनी राईस मिल का समुचित संचालन कर हर महीने 8 से 10 हजार रुपये आमदनी अर्जित कर रही हैं और अपने बच्चों की पढ़ाई के साथ पालन-पोषण पर ध्यान दे रही हैं।


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