कयामत की भीड़ औऱ अकेलापन
लेखक- संजय दुबे
हाल ही मुझे कोयंबटूर स्थित आदियोगी सद्गुरु जग्गी के आश्रम औऱ ऊटी स्थित बोटनिकल और रोज़ गार्डन जाने का अवसर मिला। तीनो स्थान में भीड़ जबदस्त थी। हज़ारों लोग यहां आये हुए थे। सबसे बड़ी बात थी कि अधिकांश लोग जोड़े में थे।कुछ लोग 4 से 6 के समूह में भी थे लेकिन बहुमत उन लोगो का था जो दो थे।
दुनियां में किसी स्थान पर जाने से उस स्थान की याद को मनोस्मृति में रख लेना नैसर्गिक बात है लेकिन उस स्थान पर हम है ये कैसे प्रमाणित करें? आजकल मोबाइल का युग है, हर मोबाइल में आधुनिकतम कैमरे है ( मेगापिक्सल) हर व्यक्ति फोटोग्राफर है, कुशल है या नहीं ये दीगर बात है। हर हाथ मे मोबाइल है याने हर व्यक्ति सक्षम है।
मैंने एक बात सामान्य रूप से कोयम्बटूर औऱ ऊटी में जो देखी वो थी कि यांत्रिक युग मे जबरदस्त भीड़ में व्यक्ति के अकेले होने की। निदा फ़ाज़ली की एक ग़ज़ल जेहन में आई" हर तरफ हर जगह बेशुमार आदमी फिर भी तन्हाइयों का शिकार आदमी, सुबह से शाम तक खुद को ढोता हुआ अपनी ही लाश का मज़ार आदमी"। ये नज़ारा हर जगह था। पति पत्नी साथ मे है उनके जोड़े फ़ोटो खींचने के लिए एक मजबूरी थी कि या तो किसी प्रोफेशनल फोटोग्राफर से फ़ोटो खिंचवाए, औऱ उसे साथ लेकर दर्शनीय जगह में घूम घूम कर फ़ोटो खिंचवाए, घण्टो इंतज़ार करें और फिर फ़ोटो के बोझ को लिए लिए घूमे या फिर अपने मोबाइल में कैद करे। इस स्थिति में दो व्यक्ति में से एक ही कैद हो पायेगा दूसरे को कैद करने के लिए पहले को जुगत लगानी पड़ेगी। ये स्थिति सामान्य है।हर जगह आपको ये दृश्य आसानी से देखने को मिल सकता है। पति की फ़ोटो पत्नी अकेले खींच रही है और पति, पत्नी की अकेली फ़ोटो खींच रहा है यानी दोनो हर जगह अकेले अकेले।इसके अलावा दूसरा विकल्प ये होता है कि "सेल्फी" खींचो जिसमे चेहरा उल्टा हो जाता है यानी वास्तविकता से परे। हर जगह व्यक्ति अकेले ,अपने को भीड़ में रखकर फ़ोटो खींच रहा है। इसके बाद यदि दोनो को एक साथ फोटो खींचाना हो तो किसी अज्ञात व्यक्ति से सिवाय चिचोरी करने के अलावा विकल्प ही नही है।ये बेबसी है। अपने को ही प्रचारित करने का ये तरीका अकेलेपन की निशानी है।
व्यक्ति सामाजिक प्राणी से असामाजिक प्राणी बनने की प्रक्रिया में कितनी तेज़ी से दौड़ रहा है ये हर सार्वजनिक जगह में दिख रहा है। भीड़ में अकेले होने का यह विज्ञान हमे अवसाद की चुपचाप घेरने वाली बीमारी के जोन में ला रहा है। अकेलेपन की यह पश्चिमी बीमारी हमे मुफ्त उपहार के रूप में मिल रहा है। परिवार के अलावा अपनी मित्रता को बनाये रखिये, उनकी संगत में रहिए, बेवजह फ़ोन लगाइए, आप का मन मस्तिष्क दोनो स्वस्थ रहेंगे। अपनी भीड़ खुद बनाइये जहां आप कुछ भी बोल सके, बतिया सके, हंस सके, रो सके। अकेलेपन से बस बच कर रहिए।
About Babuaa
Categories
Contact
0771 403 1313
786 9098 330
babuaa.com@gmail.com
Baijnath Para, Raipur
© Copyright 2019 Babuaa.com All Rights Reserved. Design by: TWS