वर्गीज कुरियन को भारत रत्न मिलना चाहिए

लेखक- संजय दुबे

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हर देश मे कुछ ऐसे योग्य व्यक्ति होते है जिनके कार्य इतने उत्कृष्ट होते है कि लगता है ऐसे लोग इतने बड़े काम कैसे कर लेते है। दूसरा प्रश्न ये भी उठता है कि इनके कामो की सराहना को राजनीति के नजरिये से देखकर उन्हें वह सम्मान क्यो नही दिया जाता जिसके वे वास्तविक हकदार है? ऐसा ही एक नाम है वर्गीज कुरियन का, ये व्यक्ति देश को दूध के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए जो त्याग, समर्पण किया वैसा देश के बहुत कम लोगों के हिस्से में आता है।

आजादी के बाद देश दो प्रकार की कमी से योजनाबद्ध तरीके से जूझ रहा था पहला था आनाज औऱ दूसरा दूध के उत्पादन में आत्मनिर्भरता। हरित क्रांति के माध्यम से डॉ स्वामीनाथन ने अनाज के प्रति देश को नई दिशा दी। दूसरा श्वेत क्रांति थी जिसे वर्गीज कुरियन ने वो दिशा दी जिसके चलते दूध के अन्य उत्पादन करने वाले देश भारत में जम नहीं पाए और देखते देखते देश अमेरिका, डेनमार्क के समान आत्मनिर्भर बन गया। 

    नाडियाड का एक मेकेनिकल इंजीनियर जिसने जीवन भर दूध नही पिया वह वर्गीज कुरियन आनंद में त्रि भुवन पटेल के साथ मिलकर स्कीम मिल्क पाउडर सहित कंडेंस्ड मिल्क उत्पादन के लिए भगीरथ प्रयास आरंभ किया।"अमूल" याने आणंद मिल्क यूनियन लिमिटेड ने गाय के स्थान पर भैस के दूध उत्पादन को लक्ष्य बनाया। इसके लिए गुजरात के गाँव गाँव मे समिति बनाई गई। केवल दूध उत्पादन ही नही बल्कि पशुओं के रखरखाव के लिए भी योजना बनाई। 1965 में देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री आनंद गए तो उन्हें लगा कि वर्गीज कुरियन को आनंद तक सीमित रखना एक व्यक्ति की असाधारण क्षमता को सीमित करना होगा। शास्त्री जी ने राष्ट्रीय डेयरी बोर्ड की स्थापना कर इसकी अध्यक्षता वर्गीज कुरियन को दे दिया।

 आज परिणाम देखेगे तो "अमूल" सहकारिता का मिसाल बन गया है। 1.44लाख डेयरी को- ऑपरेटिव सोसायटी के माध्यम से 26 लाख दूध उत्पादक इससे सम्बद्ध है। भारत देशवासियो के लिये दूध के अलावा मक्खन, पनीर, चीज़,मठा, सहित 16 से अधिक उत्पादन आसानी से 24 घण्टे उपलब्ध है। "अमूल" केवल देश मे ही नही बल्कि विदेशों में भी सफलता के झंडे गाड़ रही है। केवल भैस ही नही, गाय,भेड़, बकरी, ऊंट के दूध के बाजार में अमूल बड़ा नाम है।

 वर्गीज कुरियन ने दूध के व्यापार के लिए कम से कम 10 बोर्ड बनाये जो विपणन का काम देखती है। कुरियन अपने काम के चलते "फादर ऑफ व्हाइट रिवुलेशन", "बिलियन लीटर आइडिया" औऱ "ऑपरेशन फ्लड" के बड़े नाम बने। ऐसे व्यक्ति को देश की सरकारों ने पद्मविभूषण के लायक समझ कर अपनी जिम्मेदारी से इतिश्री कर लिया। आप भारत रत्न पाए व्यक्तियों की उपलब्धि की समीक्षा करेंगे तो पाएंगे कि बहुत लोगो को केवल राजनैतिक प्रतिबध्दता के कारण सम्मान मिल गया। एम जी रामचंद्रन की प्रसिद्धि केवल तमिलनाडु तक सीमित थी, बोरदोलोई आसाम तक सीमित थे। जब क्षेत्रीय उपलब्धि के चलते भारत रत्न मिल सकता है तो देश को राष्ट्रीय और अंतरास्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित करने वाले व्यक्ति को अनदेखा नही किया जाना चाहिए। ये भी प्रश्न हो सकता है कि आज कुरियन के मृत्यु के 12 साल हो गए है तो इसका भी उत्तर है कि देश ने 14 व्यक्तियों को मरणोपरांत भारत रत्न दिया है, कुरियन भी 15 वे सही


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