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छत्तीसगढ़ में देश के तीन चौथाई लघु वनोपजों का संग्रहण
छत्तीसगढ़ में रोजगार, स्व-रोजगार, स्थानीय संसाधनों के बेहतर प्रबंधन और उद्यमिता विकास को लेकर अभूतपूर्व कार्य किए गए हैं। विगत साढ़े चार वर्षों में ग्रामीण तबकों और सुदूर वनांचल क्षेत्रों में रहने वाले जरूरतमंद लोगों तक इन योजनाओं का भरपूर लाभ पहुंचा है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ के वनांचल क्षेत्रों में निवास करने वाले वनवासी एवं आदिवासियों के हित में कई महत्वपूर्ण कार्य किए गए हैं। यही वजह है कि छत्तीसगढ़ में देश का 74 प्रतिशत लघु वनोपज संग्रहित होता है।
छत्तीसगढ़ में संग्राहकों के हित में लघु वनोपजों की संख्या में वृद्धि करते हुए 7 से बढ़ाकर वर्तमान में 67 लघु वनोपजों की खरीदी की जा रही है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख श्री व्ही. श्रीनिवास राव ने बताया कि इसके परिणाम स्वरूप विगत साढ़े चार सालों में संग्राहकों की संख्या में भी 4 गुना से ज्यादा की बढ़ोत्तरी हुई है, वर्ष 2018-19 में संग्राहकों की संख्या 1.5 लाख थी, जो आज बढ़कर 6 लाख हो गई है। वर्ष 2021-22 में कुल 42 हजार मीट्रिक टन लघु वनोपजों की खरीदी की गई है, जबकि यह मात्रा वर्ष 2018-19 में 540 मीट्रिक टन थी। इस तारतम्य में प्रबंध संचालक राज्य लघु वनोपज संघ श्री अनिल राय ने बताया कि छत्तीसगढ़ में लघु धान्य फसलों को बढ़ावा देने के लिए मिलेट मिशन भी चलाया जा रहा है। इसके तहत समर्थन मूल्य पर कोदो, कुटकी, रागी की खरीदी की जा रही है।
छत्तीसगढ़ पूरे देश का सबसे बड़ा वनोपज संग्राहक राज्य हैै। पिछले साढ़े चार वर्षों में छत्तीसगढ़ सरकार की जनहितैषी योजनाओं के परिणाम स्वरुप लगभग 13 लाख तेंदूपत्ता संग्राहकों एवं 06 लाख वनोपज संग्राहकों को अतिरिक्त आमदनी प्राप्त हो रही है। संग्राहकों के हित में तेन्दूपत्ता संग्रहण दर 2 हजार 500 रूपए से बढ़ाकर 4 हजार रूपए प्रति मानक बोरा किया गया है, वहीं संग्राहकों को विगत चार वर्षों के दौरान 2146.75 करोड़ रूपए तेन्दूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक का भुगतान किया गया है। संग्राहक परिवारों के हित में शहीद महेन्द्र कर्मा तेन्दूपत्ता संग्राहक सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत् अब तक 4692 हितग्राहियों को 71.02 करोड़ रूपए की सहायता प्रदान की गई है।
वन अधिकारों के क्रियान्वयन में भी छत्तीसगढ़ देश में अग्रणी राज्य है। छत्तीसगढ़ सरकार ने लाख उत्पादन को कृषि का दर्जा दिया है और लाख उत्पादक कृषकों को अल्पकालीन ऋण प्रदान करने की योजना भी लागू की है, जिसके प्रभाव स्वरूप आज लाख उत्पादक किसान भी आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे हैं।
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