राजनीति की पिच पर क्रिकेटर्स
लेखक- संजय दुबे
भारत में राष्ट्रीय क्रिकेट टीम में लंबे समय तक प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाड़ियों के फैन फालोइंग बहुत होती है। वे जब तक राष्ट्रीय टीम में होते है उन्हे आम जनता के अलावा बड़े उद्योगपतियों,फिल्म कलाकार सहित राजनीतिज्ञ भी सर आंखों में बिठाए रखते है। सक्रिय खेल जीवन के बाद नामचीन क्रिकेटर्स क्रिकेट से ही जुड़ा रहना पसंद करते है। वे खेल समीक्षक, विश्लेषक, सहित प्रशिक्षक बनने को प्राथमिकता देते है।
देश की विभिन्न राजनैतिक पार्टियां फिल्मी कलाकारों के बाद क्रिकेट खिलाड़ियों को अपनी पार्टी में शामिल कर उनका फायदा उठाना चाहती है।अन्य खेलो के भी खिलाड़ी भी राजनीति में आते है लेकिन उनका नंबर दूसरे क्रम में आता है। भारत की तरफ से अब तक 302 खिलाड़ी टेस्ट खेले है जिनमे से11 खिलाड़ियों ने क्रिकेट के अलावा राजनीति के पिच पर भाग्य आजमाया है।
क्रिकेट से राजनीति में आने वाले पहले खिलाड़ी मंसूर अली खान पटौदी थे। पटौदी 21साल की उम्र में भारतीय टीम के कप्तान बन गए थे। उन्होंने 1971में हरियाणा के गुड़गांव से विधानसभा चुनाव लडा था लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
भारतीय टीम के ओपनर चेतन चौहान खेल से संन्यास लेने के बाद भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता लेकर अमरोहा लोकसभा क्षेत्र से 1991 और 1998में सांसद निर्वाचित हुए।चेतन चौहान अमरोहा विधासभा क्षेत्र से विधायक भी निर्वाचित हुए और उत्तरप्रदेश सरकार में खेल मंत्री भी रहे।
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान जो नर्वस 99टेस्ट खेले वे कांग्रेस की तरफ से 2009में उत्तर प्रदेश के मोरादाबाद लोकसभा चुनाव जीत कर सांसद बने थे।2014में अजहर राजस्थान के टोंक संसदीय क्षेत्र से चुनाव लडे थे लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। तेलंगाना विधानसभा चुनाव में अजहर, जुबली हिल्स विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के प्रत्याशी है। अजहर उत्तर प्रदेश,राजस्थान के बाद तीसरे राज्य में भाग्य आजमा रहे है।
भारतीय टीम के दूसरे ओपनर नवजोत सिंह सिद्धू भी क्रिकेट छोड़ भाजपा का दामन थामा और 2004और2009में अमृतसर लोकसभा क्षेत्र से सांसद रहे।2016मेंनवजोत सिंह सिद्धू को राज्यसभा सदस्य बनाया गया।2017 सिद्धू कांग्रेस में चले गए। अमृतसर पूर्व से विधानसभा चुनाव जीते ।उनको केबिनेट मंत्री बनाया गया। 2021में नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया और 2022मे विधासभा चुनाव की जिम्मेदारी दी गई।वे खुद अमृतसर पूर्व से हारे साथ ही पूरी पार्टी को भी हार का सामना करना पड़ा।
1983विश्वकप क्रिकेट टीम के सदस्य कीर्ति आजाद जिनके पिता भगवत झा आजाद, बिहार के मुख्यमंत्री रहे क्रिकेट को राम राम कहने के बाद भारतीय जनता पार्टी में चले गए। कीर्ति आजाद दरभंगा संसदीय क्षेत्र से 2009और 2014में जीते थे। 2015 में अरुण जेटली विवाद के चलते कीर्ति आजाद ने टीम बदल कर भाजपा से कांग्रेस में चले गए।।2018 लोकसभा चुनाव में धनबाद से चुनाव लडे लेकिन जीत नहीं पाए। ज्ञात रहे कीर्ति दिल्ली विधानसभा चुनाव में गोल मार्केट क्षेत्र से भाजपा के विधायक भी रह चुके है , आज कल तीसरी टीम तृण मूल कांग्रेस में सेवाए दे रहे है।
भारतीय क्रिकेट टीम के शानदार फिल्डर मोहम्मद कैफ क्रिकेट का बेट छोड़कर राजनीति में कांग्रेस का हाथ थामा। उन्हे पंडित जवाहरलाल नेहरु के लोकसभा संसदीय क्षेत्र से 2014
भारतीय टीम को टी 20 मैचमे 2007में मिस्बाह का कैच पकड़ कर भारत को विश्व विजेता बनाने वाले श्रीसंत को 2016में केरल से भाजपा ने विधानसभा चुनाव लड़वाया था लेकिन श्रीसंत जीत नहीं सके।
2011के विश्व चैंपियन क्रिकेट टीम के ओपनर गौतम गंभीर ने क्रिकेट छोड़ने के बाद भाजपा का दामन थामा और 2018में दिल्ली से सांसद निर्वाचित हो गए है।
कभी कपिल देव के साथ तेज गेंदबाजी करने वाले मनोज प्रभाकर को दिल्ली लोकसभा चुनाव में आल इण्डिया तिवारी कांग्रेस से टिकट दिया गया लेकिन मनोज प्रभाकर जीत न सके।
सचिन तेंडुलकर के बालसखा विनोद कांबली भी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में स्थानीय पार्टी से भाग्य आजमाया था लेकिन वे भी असफल रहे।
अप्रत्यक्ष राजनीति में सचिन तेंडुलकर राज्य सभा के सदस्य बने। सचिन 6साल राज्य सभा में समय काट कर विदा हो गए।
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