एक हार बाकी जीत के जश्न को खत्म नहीं करती

लेखक - संजय दुबे

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 डेढ़ महीने के क्रिकेट कुंभ में आखिरकार ऑस्ट्रेलिया ने जीत की डबल हैट्रिक लगा ही लिया। एक तरफ जीतने वाली भारत, वेस्ट इंडीज, पाकिस्तान,श्रीलंका और इंग्लैंड की इक्का दुक्का जीत है तो दूसरी तरफ ऑस्ट्रेलिया है जिसने 1987सेलेकर 2013के दस आयोजन में से छः बार ट्रॉफी उठाकर ये तो सिद्ध किया है कि अगर वह फाइनल में पहुंची तो कम से कम हारने के लिए तो नहीं उतरेगी।

भारत का प्रदर्शन फाइनल से पहले फाइनल में पहुंचने लायक था। हमारी टीम बल्लेबाजी, गेंदबाजी और क्षेत्ररक्षण में जलवा बिखेर रही थी।फाइनल में वो जलवा नहीं दिखा। खेल है जीत हार तो हिस्सा है लेकिन ऑस्ट्रेलिया की टीम में जीत के लिए जो ललक है बस वही पर बाकी टीम धरासाई हो जाती है।कहते है भाग्य भी सामर्थ्यवान के साथ खड़ा होता है। कल भी यही हुआ। टॉस उनके हिस्से में गया, भारत के कप्तान रोहित शर्मा शानदार क्षेत्रक्षण के कारण विदा हुए। हेड शायद कल कुछ ऐसा खा कर आए थे कि अद्भुद कैच लपक लिया,अपना कैच दिया तो गिल और कोहली एक दूसरे के भरोसे रह गए। जहां विकेट मिलना था वहां चार रन मिले और फिर हेड ने सभी गेंदबाजों पर निर्मम हो गए। शतक भी जड़ दिया।जिस 240रन के लक्ष्य को हमनें ऑस्ट्रेलियन बल्लेबाजों को दिया था उसमें से साठ फीसदी रन तो अकेले हेड बना दिए। 

 जीत ,जीत होती है और हार ,हार, ये खेल का हिस्सा हैं भारतीय टीम ने सिवाय फाइनल के पूरा टूर्नामेंट शानदार खेला और यही कारण था कि उम्मीदें जागी थी। उम्मीद पर पानी फिरना अवसाद और दुख को जन्म देता है लेकिन अगले ही पल फिर कोई उम्मीद जन्म लेती हैं चार साल बाद फिर मौका मिलेगा तब तक सामर्थ्य को इकट्ठा करने का समय होगा।

ऑस्ट्रेलिया भले ही विश्व चैंपियन बना है लेकिन उसे ये कसक जरूर रहेगी कि लीग राउंड में हमनें उन्हे हराया था। वे भी ये गर्व कर सकते है कि हारने के बावजूद जीत गए।

 ये विश्व कप टीम का था लेकिन क्रिकेट में व्यक्तिगत प्रदर्शन भी देखा गया। भारत के विराट कोहली ने जो प्रदर्शन किया वो निसंदेह किसी भी देश के बल्लेबाज के लिए प्रेरणादायक होना चाहिए। मुझे याद आता है इंग्लैंड के कप्तान टोनी ग्रेग अपने बल्लेबाजों को स्लिप में खड़ा कर भारत के ओपनिंग बल्लेबाज सुनील गावस्कर की बल्लेबाजी देखने के लिए कहते थे । विश्वकप में यही सीख देश दुनियां के बल्लेबाजों के लिए रहेगा। विराट, हर मैच के बाद विराट से विराटतम होते गए। इस टूर्नामेंट में वे 13विश्व कप आयोजन में से किसी एक आयोजन में सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज बने।पूर्व में भारत के ही सचिन तेंदुलकर के नाम ये रिकार्ड था। विराट ने वनडे में सचिन तेंदुलकर के सर्वाधिक 49शतक के रिकार्ड को भी तोड़ते हुए 50वा शतक लगाया। मोहमद शामी निसंदेह भारत के लिए एक उपलब्धि बनकर सामने आए। पूरे टूर्नामेंट में उनकी गेंदबाजी का कहर बरपा सिवाय फाइनल के। गिल,अय्यर और राहुल में देश का भविष्य दिख रहा है ये सुखद है बस मलाल ये रह गया कि पूरे टूर्नामेंट में सभी टीम को धताते बताने वाली टीम आखिर में ऐसी जगह डूबी जहां पानी कम था। सिर्फ एक कमजोर प्रदर्शन से देश के क्रिकेट प्रेमियों को दिल दुखना स्वाभाविक है जिसकी भरपाई कभी न कभी हो जायेगी। ये रोहित शर्मा की टीम से सभी को आशा है। शाबाश भारतीय क्रिकेट टीम देश के 140 करोड़ देश वासियों को आप पर नाज है। आप दक्षिण अफ्रीका या न्यूजीलैंड के समान सेमीफाइनल में नहीं बल्कि फाइनल हारे हो।


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