ऊंट ह कोऊन करवट बइठही...!
लेखक- संजय दुबे
हमर राज में गाय, बईल, भेड़, बकरी मिलथे ऊंट ह नई मिलय, राजस्थान के ऊंट पलइया मन ह पइसा कमाय बर जरूर ईहा ले आथे। ए ऊंट में छोटे बड़े लइका मन ह बैइठते, घूमथे, अऊ एकर बदला में पईसा देथे।ऊंट ह तो बबूल के कंटीला पत्ती ल खा के पेट भर लइथे अऊ ऊंट वाले मन ह पईसा ले पेट भर लेथे । दुनो के भला हो जाथे । ऊंट ह रेत के रेगिस्तान ले इहा मस्त रहीथे न गर्मी अऊ न रेत में चले के काम, पानी घलो बने मिल जाथे।
ए दरी ऊंट ह चुनाव के आचार संहिता लगे के पहली आगे, आयोग के बात ल अपन ऊपर ले लिस के आचार संहिता खतम होत तक राज्य में रहना पडही ,राजस्थान नई जाना है। वहां अबड अकन ऊंट है। कोनो डाहर बईठ जाए फरक नई पड़े।
छत्तीसगढ़ में दू चरन में वोट डलिस। जब वोट ह डल गै तो ऊंट ह फेरा में पड़ गै। दू पार्टी के मनखे मन ह ऊंट ल
अपन अपन तरफ करवट बैईठे बर खिंचे लगिन ।एक ह कहिथे मोर तरफ बइठ, दुसर कहिथे मोर डाहर बइठ। ऊंट ह दूनो के बात ल समझ गै कि ए मन के बात में नई आना है। ऊंट ह खड़े हो गै है। न एकर डहार न ओकर डहार,। दूनो झन ह मान के चलथ है आन दे 3तारीक ऊंट ह हमरे तरफ करवट लिही। ऊंट के मालिक घलो ऊंट ले पूछते तै ह कौन करवट बइठया हस साले, मोला तो बता दे। ऊंट ह जानत है पहाड़ के नीचे नई आना है । 3तारीक के जइसन जइसन गिनती होत जाही वइसन वइसन करवट ले म फायदा है।अभी कोनो करवट बइठ गैओ अऊ ईवीएम दुसर करवट बइठ गै तो सदियों ले चलत मुहावरा "ऊंट ह कौन करवट बइठही" के मोल खतम हो जाहि। बस 17तारिक ले खड़े है। गली मोहल्ला वाले मन ऊंट ल देख के अंदाजा लगात है ए करवट बइठही के ए करवट बइठही।ऊंट ह बने एक्टिंग करत है।चार झन के सामने एक करवट झुक जाथे,वो मन चले जाथे दुसर मन आथे तो ऊंट ह दुसर करवट झुक जाथे। दूनो
पार्टी वाले मन आधा खुश है आधा संशकित, काबर के ऊंट ह झुके है बइठे
नई है। सब झन 30तारिक के बाटा देखत है। एग्जिट पोल ह आही लेकिन उहू में अनुमान है कि ऊंट ह ए करवट बइठ सकत है, बइठ ही जाहीं, एकर गारंटी नही है। दिल भले बहल जाहि लेकिन दिमाग ल संतुष्टि 3दिसंबर के ही मिलही। ऊंट ये बात ल बने ले जानथ है कि वो ह जो करवट बइठही ओकर दुसर पार्टी के ऊंट के मुंह में जीरा ह पढही। तय है
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