55 साल की पड़ोसन

लेखक - संजय दुबे

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 हास्य हमारे जीवन की सबसे महंगी अभिव्यक्ति है। अधिकांश लोगों के पास दुखड़े होते है बताने को जिसके चलते अवसाद पनपते रहता है। जीवन में सुखी रहने का सबसे अच्छा तरीका हास्य से जुड़े रहना होता है।

भारत में 1913 से अवाक और से1931से सवाक फिल्मों के निर्माण का दौर शुरू हुआ।शुरुवाती दौर में फिल्मे धार्मिक विषयों पर बनती रही है ।कालांतर में सामाजिक और अन्य विषयों पर फिल्म बनी लेकिन हास्य प्रधान फिल्म का दौर 1958में "चलती का नाम गाड़ी" फिल्म से शुरू हुआ जरूर हुआ।1964में डा एक्स इन बॉम्बे बनी इसके चार साल बाद एन सी सिप्पी ने "पड़ोसन"फिल्म बनाई ।संयोग ये रहा कि इन तीनों हास्य फिल्म में किशोर कुमार की भूमिका महत्वपूर्ण थी। 1961में "ससुराल" फिल्म प्रवेश करने वाले हास्य अभिनेता महमूद सहित सुनील दत्त सायरा बानो ,ओम प्रकाश पड़ोसन के मुख्य किरदार थे।

 पड़ोसन फिल्म 1952में बांग्ला भाषा में बन चुकी थी। इस बांग्ला फिल्म का नाम "पशेर बासी" था।जो एक लघु कथा पर बनी थी।

 पड़ोसन में भले ही सुनील दत्त नायक थे लेकिन सही मायने में महमूद और किशोर कुमार जान थे। सायरा बानो,दिलीप कुमार से शादी के बाद फिल्मों को अलविदा कह चुकी थी।महमूद, जिद करके सायरा को वापस लाए। 

 गीत प्रधान फिल्म में गंभीर हास्य का तड़का था। 157मिनट की फिल्म में 35.17मिनट आठ गानों के लिए था। पार्श्व गायन को आधार बना कर भोले(सुनील दत्त) को विद्यापति( किशोर कुमार) संगीत प्रेमी नायिका बिंदु(सायरा बानो) को प्रभावित करने की चाल चलता है। नायिका के साथ विवाह के लिए नायक का मामा ओम प्रकाश, संगीत शिक्षक महमूद और सुनील दत्त के बीच चलती फिल्म में हास्य की पराकाष्ठा थी।

इस फिल्म ने सुनील दत्त को अभिनय के नए सोपान के लिए स्थापित कर दिया। महमूद जो हास्य के पेच वर्क में आते थे वे बड़े स्टार हो गए जो दीगर फिल्मों में नायक से ज्यादा पारिश्रमिक लेने के लिए अधिकृत हो गए। ओम प्रकाश भी हास्य के क्षेत्र में बड़े नाम हो गए। एक फिल्म कितने लोगो को स्थापित करती है इसका उदाहरण "पड़ोसन"थी जो 29नवंबर 2023को 55साल की हो गई है।

जब पड़ोसन फिल्म सिनेमा हाल में लगी तो दक्षिण के राज्यो में महमूद द्वारा दक्षिण व्यक्तियों के उपहास का मुद्दा बनाकर विरोध किया गया। आज का एक स्थापित दक्षिण का कलाकार जो 1968में बामुश्किल 14साल था वो भी पड़ोसन फिल्म देखने गया और फिल्म देख कर निकला तो महमूद का मुरीद होकर निकले। ये कलाकार कमल हासन थे। चलते चलते ये भी जान ले कि हिंदी भाषी फिल्म "पड़ोसन" तेलगु में "पक्का इंति अय्यामि " तमिल में "अटूत्था वीहुपेन "और कन्नड़ भाषा में "पक्कड़माने हुडुगी" में भी बनी। 

आपको जब अवसाद या गम सताए तो भारत की सर्वश्रेष्ठ 25फिल्मों में शुमार "पड़ोसन" देख ले।संतुष्टि रहेगी।


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