सबसे अधिक और सबसे कम वोट से जीतने का रिकार्ड टूटा

लेखक- संजय दुबे

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छत्तीसगढ़ विधान सभा चुनाव संपन्न हो गए।90 निर्वाचित विधायको को उनके क्षेत्र की जनता ने अपना दायित्व अगले पांच साल के लिए सौप दिया है।

 2003के बाद 5वी विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके है।

इस बार के चुनाव में अन्य बातो के अलावा दो बातों पर लोगो की रुचि थी कि सर्वाधिक वोट से जीत हार का नया रिकार्ड बनता है या फिर 5साल और इंतजार करना पड़ेगा । इस बार के चुनाव में निर्वाचित भाजपा के दो अग्रवाल प्रत्याशियों ने पिछले विधानसभा चुनाव में सबसे अधिक और सबसे कम वोट से जीत का रिकार्ड अपने नाम कर लिया है।

2018के विधानसभा चुनाव में कवर्धा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के मो.अकबर ने 59038वोट से रिकार्ड जीत हासिल की थी।आश्चर्य की बात ये रही कि 2018में सर्वाधिक वोट से जीतने वाले मो.अकबर 2023में हुए विधान सभा चुनाव में भाजपा के विजय शर्मा से 39592 वोट के अंतर से हार गए। मो अकबर के सर्वाधिक वोट से जीतने के रिकार्ड रायपुर दक्षिण से लगातार 8बार निरंतर चुनाव जीतने वाले भाजपा के बृजमोहन अग्रवाल ने अपने नाम कर लिया है। बृज मोहन अग्रवाल ने 67851वोट से कांग्रेस के राम सुंदर दास को पराजित किया। संयोग की बात ये भी है कि मो अकबर और बृज मोहन अग्रवाल की छात्र राजनीति की शुरुवात साथ साथ हुई है।दोनो ही रायपुर के दुर्गा कालेज से राजनीति का ककहरा सीखना शुरू किए थे।ये बात अलग है कि दोनो अलग अलग पार्टी कांग्रेस और भाजपा के सदस्य है। भाजपा के ओ पी चौधरी भी 64443, वोट से जीत दर्ज किए है।

सबसे कम वोट से जीतने का रिकार्ड धमतरी विधान सभा क्षेत्र से रंजना साहू के नाम पर था।2018के चुनाव में भाजपा की रंजना साहू ने 464 वोट से कांग्रेस के गुरुमुख सिंह होरा को हराया था। 2023के विधान सभा चुनाव में कांकेर से भाजपा के प्रत्याशी आशाराम नेताम ने केवल 16वोट से कांग्रेस के शंकर धुरवा को पराजित किया।अंबिकापुर विधान सभा क्षेत्र से राजेश अग्रवाल ने कांग्रेस के उप मुख्यमंत्री टी एस सिंहदेव को केवल 94वोट से पराजित किया । पत्थलगांव से भाजपा की गोमती साय ने भी सिर्फ 255वोट से जीत दर्ज कर 2018के सबसे कम वोट से जीत के रिकार्ड को सुधारा है


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