श्यामा प्रसाद मुखर्जी महिला महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय और इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र के तत्वावधान में गीता महोत्सव का आयोजन

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श्यामा प्रसाद मुखर्जी महिला महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय और इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में दिनांक 13 दिसंबर 2023 को गीता महोत्सव का आयोजन किया गया। “गीता फिलोसफी फॉर एनरीचिंग इंटेलेक्चुअल एंड स्पिरिचुअल डाइमेन्शंस” विषय पर आयोजित इस महोत्सव में मुख्य अतिथि के रूम में प्रो. ओम नाथ बिमली, अध्यक्ष, संस्कृत विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय एवं अध्यक्ष, शासी निकाय, एसपीएम कॉलेज और विशिष्ट व्याख्यान के लिए मुख्य वक्ता के रूम में प्रो. ए. बी. शुक्ला, अध्यक्ष, भारत विद्या परियोजना, आईजीएनसीए उपस्थित रहे। 

      महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. साधना शर्मा द्वारा अतिथियों का विधिवत स्वागत एवं स्वागत वक्तव्य के साथ ही महोत्सव का शुभारंभ हुआ। अपने वक्तव्य में प्राचार्या ने गीता के संदेश को जीवन में धारण कर कर्म के मार्ग पर प्रशस्त रहना ही माना। 

    मुख्य वक्ता प्रो.ए. बी. शुक्ला ने अपने वक्तव्य में गीता ने अनेक अर्थों को आत्मसात करने पर बल दिया और साथ ही श्लोकों की सूक्ष्म व्याख्या करते हुए कई सामान्य ग़लतियों को रेखांकित भी किया। कर्म करने को कर्तव्य की बजाय अधिकार का अर्थ स्पष्ट करते हुए फल की इच्छा को प्रिंसिपल ऑफ़ अनसर्टेनिटी से जोड़ा। भाव शरीर, मंत्र शरीर, सिद्ध शरीर, कारण शरीर आदि की व्याख्या के माध्यम से जीवनोपयोगी महत्व की चीजों को श्रोताओं के समक्ष रक्षा। जीवन के सारे प्रश्नों का उत्तर गीता में है। 

 इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो. बिमली ने पाने वक्तव्य में गीता के आयामों की चर्चा की। गीता का केंद्रीय विचार है आत्मज्ञान। गीता का विषय अध्यात्म विद्या है जिसका लक्ष्य है मनुष्य अपने भीतर के अभुद्यकारिणी शक्तियों को जागृत करना एवं अपने सामर्थ्य को जगाना।भगवतगीता हमारे ऋषित्व को भी जागृत करने का माध्यम है।

अंत में आयोजकों 

डॉ. राजकुमार फुलवारिया 

डॉ. सुप्रिया सिन्हा

डॉ. शिवानी जॉर्ज द्वारा सभी अतिथियों और श्रोताओं को धन्यवाद प्रदान किया गया।


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