उप मुख्यमंत्री जी

लेखक- संजय दुबे

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देश के छत्तीसगढ़ में अरुण साव, विजय शर्मा, मध्य प्रदेश में राजेंद्र शुक्ला,जगदीश देवड़ा और राजस्थान में दिया कुमारी और प्रेमचंद बैरवा के उप मुख्यमंत्री बनते ही 13 राज्यो में उप मुख्यमंत्री हो गए है। छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में उप मुख्यमंत्री पद पर आने वाले विधायको से पहले 10राज्य में विधायक/विधान परिषद के सदस्य उप मुख्यमंत्री के रूप में कार्य कर रहे हैं।

*आंध्र प्रदेश- 

1 अजमथ बशा शेख बापरी

2 के नारायण स्वामी

3बुदी मत्याला नायडू

4राजन्ना ओरो पीढ़ी

5कोट्टू सत्यनारायण

*छत्तीसगढ़

1अरुण साव

2विजय शर्मा

*राजस्थान

1दिया कुमारी

2प्रेम चंद बैरवा

*मध्य प्रदेश

1राजेंद्र शुक्ला

2जगदीश देवड़ा

*महाराष्ट्र

1देवेंद्र फडणवीस

2अजीत पवार

*मेघालय

1प्रेस्टोंन टिंगसोंग

2 सिनया व्यालोंग धार

*नागालैंड

1यानथुंग पैटन

2टी आर पेलियांग

*अरुणाचल प्रदेश

1चोना में 

*बिहार

1तेजस्वी यादव

*हरियाणा

1दुष्यंत चौटाला

*हिमाचल प्रदेश

1मुकेश अग्निहोत्री

 मेघालय और नागालैंड में विधान सभा सदस्य की संख्या के आधार 2- 2 उपमुख्यमंत्री होना किसी समीकरण की ओर इशारा करते है। उत्तर प्रदेश के विधानसभा सदस्य संख्या की तुलना में 2 उपमुख्यमंत्री होना समझ मे भी आता है लेकिन नागालैंड औऱ मेघालय? समझ सकते है कि बहुदलीय समझौते का क्या फर्क पड़ता है।

 उपमुख्यमंत्री पद कोई संवैधानिक पद नहीं है। भारत के संविधान में अनुच्छेद 163, 164 में राज्यो के लिये केवल मुख्यमंत्री पद का उल्लेख है। संविधान के हिसाब से जो पद उल्लिखित नहीं है उसका संवैधानिक मूल्य भी नहीं है। केवल राजनीति का सृजित पद है। देश मे तीन प्रकार के विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र है ।सामान्य, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति। उपमुख्यमंत्री के चयन की सर्वोच्च प्रक्रिया में इसी फार्मूले को स्वीकार किया जाता है। इसके बाद क्षेत्रीय मुद्दा दम भरता है। दो या तीन दल मिलकर सरकार बनाये तो भी उपमुख्यमंत्री जरूरी ही हो जाते है। महाराष्ट्र उदाहरण है। केवल बाहर से मदद करने का सार्वजनिक उद्घोषणा करने वाले देवेंद्र फडणवीस एक फ़ोन पर वैसे ही उपमुख्यमंत्री बन गए जैसे डी. शिवकुमार। उपमुख्यमंत्री पद सत्ता में संतुलन का सफल आजमाया तरीका है।

  देश मे आज़ादी से पहले से पहले उप मुख्यमंत्री पद सृजित हो चुका था। बिहार पहला राज्य बना जहां 1939 मे अनुराग नारायण सिन्हा पहले पहल उपमुख्यमंत्री बने। स्वतंत्र भारत मे 1959 में आंध्र प्रदेश पहला राज्य बना और कोंडा वेंकट रंगा रेड्डी पहले व्यक्ति बने जो उपमुख्यमंत्री बने। इसके बाद से उपमुख्यमंत्री पद पॉलिटिकल इंजीनियरिंग का समीकरण बन गया। एक दलीय व्यवस्था जिस जिस राज्य चरमराई वहां उप मुख्यमंत्री बने। इसके बाद जाति और शक्ति संतुलन के लिए उप मुख्यमंत्री बने। कर्नाटक शक्ति संतुलन का उदाहरण है। कर्नाटक में एस एम कृष्णा पहले उपमुख्यमंत्री 1989 में बने। कर्नाटक में अब तक 10 उपमुख्यमंत्री बन चुके है। वर्तमान मुख्यमंत्री सिद्धारमैया दो बार उपमुख्यमंत्री रहे है तब उनका दल जनता दल था। यदुररप्पा भी कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री रह चुके है। भाजपा से 5, कांग्रेस और जनता दल से 2-2 औऱ जनता दल सेकुलर से एक उपमुख्यमंत्री कर्नाटक को मिले है।

 एस एम कृष्णा, सिद्धारमैया औऱ यदुररप्पा कालांतर में मुख्यमंत्री भी बने। माना जा सकता है कि सब कुछ ठीक ठाक रहा तो डी शिवकुमार भी ढाई साल बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री बन सकते है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में उप मुख्यमंत्री पद पर आसीन व्यक्ति भाजपा के किसी दूरगामी सोच का परिणाम है।छत्तीसगढ़ में जाति और धर्म के दो चेहरे है।अरुण साव को राज्य के दो प्रमुख अन्य पिछड़ा वर्ग के समीकरण के चलते पहले अध्यक्ष बनाया गया था।सफलता का परिणाम सामने है। विजय शर्मा ने धर्म के प्रति अपने समर्पण की बहुत बड़ी कीमत चुकाई है। उनके संघर्ष के चलते राज्य में जातीय ध्रुवीकरण संभव हुआ और जिस सनातन धर्म के अंडर करेंट की चर्चा चुनाव पहले चर्चा हो रही थी वो परिणाम के रूप में सामने है। छत्तीसगढ़ में विधान सभा चुनाव के पहले कांग्रेस शासनकाल में टी एस सिंहदेव को मात्र छः माह पहले उप मुख्यमंत्री बनाया गया था इसका लाभ न तो पार्टी को मिला और न ही टी एस सिंहदेव को वे खुद चुनाव हार गए।

  देश में महिला उप मुख्यमंत्री की परंपरा जमुना देवी के साथ शुरू हुई । मध्य प्रदेश में 1दिसंबर 1998को पहली महिला उप मुख्यमंत्री बनी थी।उनके बाद कमला बेनीवाल(राजस्थान) राजिंदर कौर भट्टल (पंजाब) पामुला पुष्पा श्रीवानी(आंध्र प्रदेश) रेणु देवी(बिहार) उप मुख्यमंत्री बनी। वर्तमान में केवल राजस्थान में दिया कुमारी देश में इकलौती महिला उप मुख्यमंत्री है


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