आज भी कपिलदेव का जवाब नहीं

लेखक- संजय दुबे

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क्या आपको मालूम है कि क्रिकेट जगत के 146साल के इतिहास में हजारों बॉलर्स में से केवल 5 बॉलर्स ऐसे है जिन्होंने अपने पूरे कैरियर में एक बार भी नो बॉल नहीं फेंकी है। लांस गिब्स (वेस्टइंडीज), इयान बॉथम(इंग्लैंड) इमरान खान(पाकिस्तान) डेनिस लिली (आस्ट्रेलिया)के अलावा एक बॉलर भारत के कपिलदेव भी है। कपीलदेव ने 131टेस्ट में 27740और वन डे में 11202 बॉल फेकी लेकिन उनकी एक भी बॉल भी नो बाल नहीं हुई।

किसी बॉलर्स का पैर अगर बॉलिंग क्रीज को पार कर ले तो बॉल नो बॉल मानी जाती है।इस बॉल के एवज में एक अतिरिक्त बॉल बॉलर को फेकना भी पड़ता है जिसमे सिवाय रन आउट के और किसी तरीके से आउट नहीं हुआ जा सकता। अगर कपिलदेव ऐसी अनुशासित बालिंग अपने पूरे कैरियर में करके दिखा दिया कि आखिर वे लाजवाब क्यों थे और पोमोलिव की तरह उनका जवाब क्यों नहीं है। 

6जनवरी को कपिलदेव 65साल के हो गए है। 16अक्टूबर 1978को कपिलदेव ने पाकिस्तान के खिलाफ 19साल के उम्र में पदार्पण किया था। कपीलदेव से पहले भारतीय टीम में तेज छोड़िए मध्यम तेज गति के बॉलर्स मिलना कठिन था। सुनील गावस्कर से नई बॉल एक दो ओवर्स इसलिए फिकवाया जाता था ताकि नए बॉल की चमक कम किया जा सके।

 जिस प्रकार बल्लेबाजी के लिए सुनील गावस्कर आधार स्तम्भ बने थे तेज गेंदबाजी के लिए कपिलदेव भी ऐसे लाइट हाउस बने जिनके बाद भारत में तेज गेंदबाजों की नर्सरी तैयार होने लगी। कपिलदेव से पहले भारत की क्रिकेट टीम डिफेंसिव खेल के लिए जानी जाती थी। टेस्ट जीतने के बजाय ड्रा कराने की नीति परंपरागत थी। कपीलदेव कप्तान बने और 1983में एक पर्यटक टीम को न केवल विश्विजेता बनाया बल्कि अपराजेय वेस्ट इंडीज की टीम को हैट्रिक जीत से वंचित कर दिया।

 कपिलदेव की बात हो और जिम्बाब्वे के खिलाफ 175 नाबाद रन की पारी की चर्चा न हो तो लेख ही बेकार है। कपिलदेव ने 16चौके और 6छक्के की मदद से अविश्वसनीय पारी खेली थी। आधी टीम जब महज रन पर वापस आ गई थी तब कपिलदेव ने तहलका मचाया था। इसी पारी ने कपिल देव को जेहन में बसा दिया है।

  65साल के हो जाने के बावजूद कपिलदेव की बादशाहत आज भी बरकरार है। 1983के बाद से जन्मे भारत के हर तेज बॉलिंग करने वाले कपिलदेव को याद करते है। 1983के बाद भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान चाहते है कि वे कपिल परंपरा के वाहक बने। कम से कम सौरव गांगुली और विराट कोहली तो कापीबुक कपिलदेव ही थे।

 1983भारतीय क्रिकेट की वो तारीख है जहां से एक नए इतिहास की शुरुआत हुई थी जिसके पहले पन्ने पर कपिलदेव है।


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