एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट रायपुर को जटिल हृदय रोग के इलाज में मिली बड़ी सफलता..

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पंडित जवाहर लाल नेहरू स्मृति चिकित्सालय से संबद्ध डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय स्थित एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट (एसीआई) में कॉर्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. स्मित श्रीवास्तव एवं टीम ने ट्रांसकैथेटर माइट्रल वाल्व इम्प्लांट (टीएमवीआर) वॉल्व इन वॉल्व प्रक्रिया के जरिए एक 70 वर्षीय महिला मरीज की जिंदगी बचाई। इस प्रक्रिया के साथ एसीआई पूरे छत्तीसगढ़ राज्य में मरीज की छाती पर बिना किसी चीरे के माइट्रल वाल्व रिप्लेसमेंट प्रक्रिया को पूरा करने वाला पहला और एकमात्र संस्थान बन गया। डॉ. स्मित श्रीवास्तव के अनुसार माइट्रल वाल्व को रोगी की जांघ की नसों के माध्यम से एंजियोप्लास्टी में हृदय की नसों में स्टेंट लगाने के समान प्रक्रिया द्वारा प्रत्यारोपित किया गया। मरीज़ को 26 एम. एम. का माइट्रल वॉल्व लगाया गया है।

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय और स्वास्थ्य मंत्री श्री श्याम बिहारी जायसवाल ने इस उपलब्धि के लिए एडवांस कॉर्डियक इंस्टीट्यूट की पूरी टीम को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े शासकीय अस्पताल, डॉ. भीम राव अंबेडकर अस्पताल से संबद्ध एडवांस कॉर्डियक इंस्टीट्यूट जटिल हृदय रोग के सफल इलाज में अपनी नई पहचान स्थापित कर रहा है। 

मरीज गंभीर माइट्रल रेगर्गिटेशन (एमआर) से पीड़ित था, जो एक सामान्य हृदय रोग है जिसके लिए आम तौर पर ओपन हार्ट सर्जरी की आवश्यकता होती है। मरीज को 6 फरवरी 2024 को कॉर्डियोलॉजी विभाग, एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट में नॉन इनवेसिव प्रक्रिया से गुजरना पड़ा और सिर्फ दो दिनों के बाद सुरक्षित रूप से डस्चार्ज कर दिया जाएगा।

एसीआई में कॉर्डियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख डॉ. स्मित श्रीवास्तव ने कहा कि ‘‘बुजुर्ग मरीज को 10 साल पहले दिल का दौरा और वाल्व रोग के लिए कई ऑपरेशनों से गुजरना पड़ा था, जिसमें कोरोनरी बाईपास सर्जरी और माइट्रल वाल्व सर्जरी शामिल थी, जो पिछले दशक में खराब हो गई थी और अपने पीछे गंभीर रूप से लीक होने वाले माइट्रल वाल्व और बहुत कमजोर दिल को छोड़ गई थी। रोगी की बढ़ती उम्र और कमजोर दिल के अलावा, वह जानलेवा गंभीर अस्थमा से भी पीड़ित थी, जिसके कारण सांस लेने में कठिनाई और इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिक परप्यूरा (आईटीपी) नामक एक दुर्लभ ऑटोइम्युन रक्त विकार से पीड़ित थी। इस एक ऐसा प्रतिरक्षा प्रणाली विकार है जो रक्त को ठीक से जमने से रोककर रक्तस्राव में वृद्धि का कारण बनता है। ऐसे जटिल रोगी में दोबारा ओपन हार्ट सर्जरी असंभव थी, इसलिए डॉ. स्मित श्रीवास्तव ने कमजोर छाती की दीवार पर किसी भी चीरे से बचकर जोखिम को कम करने की कोशिश की।“

ऐसे किया गया प्रोसीजर-

सबसे पहले मरीज को बेहोश किया गया उसके बाद दाहिने जांघ की नसों के रास्ते कैथेटर के माध्यम से एओर्टा तक पहुंचे। एओर्टा से बैलून को ले जाते हुए माइट्रल वाल्व के लिए जगह बनाई। उसके बाद बैलून एक्सपेंडेबल वाल्व को पुराने वाल्व की जगह पर प्रत्यारोपित किया गया। 

 

टीएमवीआर वाल्व-इन-वाल्व थेरेपी क्या है?

डॉ. स्मित श्रीवास्तव के अनुसार, टीएमवीआर (ट्रांसकैथेटर माइट्रल वाल्व रिप्लेसमेंट) वाल्व-इन-वाल्व थेरेपी एक अत्याधुनिक प्रक्रिया है। यह उन रोगियों के लिए डिज़ाइन किया गया है जो पहले माइट्रल वाल्व सर्जरी करा चुके हैं लेकिन अब वाल्व विफलता अनुभव कर रहे हैं। किसी अन्य ओपन-हार्ट सर्जरी के बजाय, यह तकनीक कैथेटर के माध्यम से प्रत्यारोपित वाल्व के भीतर वाल्व प्रत्यारोपण की अनुमति देती है। प्रक्रिया में एक कैथेटर को पैर की नस के माध्यम से डाला जाता है और हृदय तक पहुंचा जाता है जहां नया वाल्व खराब हो चुके सर्जिकल वाल्व के भीतर रखा जाता है।

 

*एसीआई की समर्पित टीम की बदौलत आज मेरी सासु मां एकदम ठीक हैं*

 

विभिन्न प्रकार की समस्याओं और जटिलताओं के होने के बावजूद एसीआई में सफलतापूर्वक ट्रांसकैथेटर माइट्रल वाल्व इंप्लांट (टीएमवीआर) प्रक्रिया के बाद अपने अनुभव साझा करते हुए 70 वर्षीय मरीज का कहना है कि डॉ. स्मित श्रीवास्तव एवं टीम के कारण आज उनकी हृदय की समस्या का सफल उपचार हुआ। मैंने यहां के केस की सफलता देखते हुए बिना डरे प्रसन्नतापूर्वक अपना इलाज कराया। उसी का नतीजा है कि आज मैं आप सभी के सामने एकदम ठीक हूं। वहीं मरीज की बहू दीप्ति के मुताबिक एसीआई दिल की बीमारियों के उपचार के क्षेत्र में नई तकनीकों की शुरुआत कर रहा है जो जीवन बचा सकती हैं, खासकर सबसे अधिक जोखिम वाले मरीजों के लिए, ट्रांसकैथेटर माइट्रल वाल्व प्रत्यारोपण, एक समर्पित टीम के द्वारा संभव हो सका है। नई प्रौद्योगिकियों, अभूतपूर्व नवाचारों और अद्वितीय प्रतिभा के साथ, कार्डियोलॉजिस्ट, कार्डियक सर्जन, एनेस्थेटिस्ट, मेडिसिन विशेषज्ञ और इमेजिंग टेक्नोलॉजिस्ट की टीम स्वास्थ्य देखभाल की दिशा में काम कर रही है।


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