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श्यामा प्रसाद मुखर्जी महिला कॉलेज में दूसरे वार्षिक साहित्योत्सव का हुआ आयोजन
श्यामा प्रसाद मुखर्जी महिला कॉलेज के बुक क्लब 'गुफ्तगू' ने कॉलेज लाइब्रेरी कमेटी के सहयोग से शुक्रवार, 2 और शनिवार, 3 फरवरी 2024 को अपने दूसरे वार्षिक साहित्योत्सव, शब्दपाखी, का आयोजन किया। इसका लक्ष्य था विभिन्न शैलियों में महिला लेखकों की आवाज़, दृष्टिकोण और आख्यानों पर प्रकाश डालना, जो सूक्ष्म और स्थूल महत्व के मुद्दों पर पितृसत्तात्मक रूपक को चुनौती देते हैं।
शब्दपाखी के उद्घाटन समारोह में प्रो. साधना शर्मा (प्राचार्या ), प्रो. ओमनाथ बिमली (गवर्निंग बॉडी अध्यक्ष एवं प्रमुख, संस्कृत विभाग, डीयू) और मुख्य अतिथि प्रो. नंदिनी साहू (लेखक एवं प्रोफेसर, इग्नू) उपस्थित थे। शब्दपाखी की आयोजन समिति के सदस्य, संयोजिका डॉ .चयनिका उनियाल, सह-संयोजका डॉ. शिवानी जॉर्ज, लाइब्रेरी समिति की संयोजिका डॉ. पूनम सिंह और सह-संयोजिका प्रो. जीनत आरा के नेतृत्व में महाविद्यालय के संकाय सदस्य और कर्मचारी और छात्र उपस्थित थे। कार्यक्रम के सफल संचालन में श्रीमती मनप्रीत कौर एवं जामिया मिलिया इस्लामिया में कार्यरत डॉ. आमना मिर्जा ने भी सहयोग दिया ।
उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों ने सभा को संबोधित किया और साहित्य के महत्व को रेखांकित किया, जिसके माध्यम से पाठक हमारे अनुभवों को आकार देने वाले सामाजिक-सांस्कृतिक और राजनीतिक चिंताओं का पता लगा सकते हैं, उनसे जुड़ सकते हैं। शब्दपाखी के दूसरे संस्करण में महिला लेखकों की साहित्यिक कल्पनाओं की समृद्ध टेपेस्ट्री, जलवायु परिवर्तन, जाति, वर्ग और नस्ल के संघर्ष, युद्ध, प्रवासन, लैंगिक मुख्यधारा और सामाजिक अन्याय जैसे मुद्दों पर उनके अद्वितीय दृष्टिकोण को सामने लाने की कोशिश की गई।
दो दिवसीय कार्यक्रम में उपन्यासकार एकता कौल और श्याम परिवार की पूर्व संकाय-सदस्य एवं हिंदी लेखिका द्वय डॉ. आशा जोशी और डॉ. राधिका सिंह के साथ बातचीत हुई। पैनल चर्चा में डॉ. शेफालिका वर्मा (साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता मैथिली लेखिका, वक्ता और व्याख्याता), सुश्री एन सुसान एलेयस (सहायक प्रोफेसर, जेएमसी और पीएचडी स्कॉलर) जैसे प्रसिद्ध लेखक शामिल थे, जिन्होंने भारतीया भाषाओं में रचित साहित्य में महिलाओं की आवाज़ के महत्व पर प्रकाश डाला। पैनलिस्ट पूनम शर्मा (प्रबंध निदेशक, इंडिया अमेरिका टुडे, वाशिंगटन डीसी) और डॉ. सुजाता चोखेरबाली (प्रोफेसर, लेखिका और ब्लॉगर) के साथ एक पैनल चर्चा में सोशल मीडिया के साथ महिलाओं के जुड़ाव पर प्रकाश डाला गया, जिन्होंने देखा कि पितृसत्ता महिलाओं को अलग-थलग और चुप करा देती है, लेकिन सोशल मीडिया के उद्भव ने महिलाओं को सशक्त बनाया है और उन्हें अपने विचार व्यक्त करने, समान विचारधारा वाले लोगों से जुड़ने का मंच दिया है।
महिलाओं और मीडिया में उनके काम के साथ-साथ महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों पर अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लेखिका और ब्लॉगर डॉ. मीनाक्षी रेड्डी माधवन और व्हाइट हाउस के पूर्व संवाददाता कर्टनी सुब्रमण्यम ने प्रकाश डाला।
अकादमिक रूप से समृद्ध चर्चाओं के अलावा, छात्रों के लिए अपनी रचनात्मकता और आलोचनात्मक सोच प्रदर्शित करने के लिए कई कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। 'ज्ञान ही शक्ति है: शिक्षा के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाना' विषय पर पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता में एसपीएमसी के छात्रों की उत्साहपूर्ण भागीदारी देखी गई। 'यंग लिटरेरी वॉयस' नामक एक गैर-प्रतिस्पर्धी कार्यक्रम में एसपीएम की प्रतिभाशाली, रचनात्मक युवा महिलाओं द्वारा लघु कथाओं और कविताओं के माध्यम से महिलाओं के जीवन को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर नया नजरिया देखा गया। अंतर-महाविद्यालय रचनात्मक लेखन 'एकफ़्रासिस' प्रतियोगिता में महिलाओं के सामूहिक और व्यक्तिगत अनुभवों के प्रमुख पहलुओं को उजागर करने वाले भावपूर्ण लेखन (कविता/निबंध/लघु कथा) सामने आए।
दोनों दिन, पुस्तकालय समिति ने एक पुस्तक प्रदर्शनी का आयोजन किया जहां प्रमुख प्रकाशकों ने समीक्षकों द्वारा प्रशंसित पुस्तकों को सावधानीपूर्वक और विचारपूर्वक प्रदर्शित किया। प्रदर्शनी में युवा छात्रों के साथ-साथ स्थानीय पुस्तक-प्रेमी और शिक्षाविदों की भारी भीड़ देखी गई।
समापन सत्र में प्रिंसिपल प्रो. साधना शर्मा, कॉलेज जी.बी चेयरपर्सन प्रो. ओमनाथ बिमली और मुख्य अतिथि सुश्री श्वेता कोठारी (मुख्य संपादक, टीवी9 नेटवर्क) ने भाग लिया । 'शब्दपाखी' के रूप में साहित्य और किताबों की दुनिया से रू-ब-रू कराने वाला एक सार्थक आयोजन अकादमिक जगत के समक्ष प्रस्तुत हुआ ।
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