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अधिकारियों के लिए धुधारू गाय है पोटाकेबिन - सर्व आदिवासी समाज।
बीजापुर-पोटाकेबिन आवापल्ली में हुई आगज़नी में एक मासूम बच्ची लिप्सा की जलकर मौत को लेकर सर्व आदिवासी समाज ने इसे बड़ी लापरवाही बताया है। पत्रकारों से चर्चा करते सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष जग्गू तेलामी ने बताया कि पोटाकेबिन अच्छी योजना है लेकिन इसका इस्तेमाल अधिकारी भ्रष्टाचार करने और मात्र पैसे कमाने के लिए कर रहे हैं। अधिकारियों के लिए पोटाकेबिन धुधारू गाय बन गई है। सालों से चार दीवारी के नाम पर बांस के टट्टे में सैकड़ों हज़ारों बच्चों को रखकर बच्चों के हक़ों के पैसों पर डाका डालने का खेल खेला जा रहा है। जबकि 15 साल बाद ये बांस के टट्टे अब बारूद और आग में घी का काम कर रहे हैं। गुणवत्ता हीन व्यवस्थाओं के बीच एक ही बिस्तर पर तीन तीन बच्चों को सुलाया जा रहा है। आगज़नी के दौरान अधीक्षिका की ग़ैर मौजूदगी भी कई लापरवाही और संदेहों को जन्म देती है। सर्व आदिवासी समाज ने कहा कि बच्ची जिस 10 नंबर कमरे में सो रही थी वहाँ का दरवाज़े का लॉक ख़राब था। चौकीदार भी नदारद था। अग्निशमन भी पोटाकेबिन से ग़ायब था। अधीक्षिका भी पोटाकेबिन में आगज़नी के बाद पहुँची थी। 15 साल पहले बने बांस के ढाँचो में 10 हज़ार से ज़्यादा बच्चों को रखा जा रहा है। बांस के बने ये चादर सड़ने लगे हैं। जो आग में घी और बारूद का काम करते हैं। इससे ज़ाहिर होता है कि सिर्फ़ पोटाकेबिन को अधिकारियों ने दुधारू गाय बनाकर रखा है। सर्व आदिवासी समाज ने मृतिका लिप्सा को 50 लाख मुआवजे के साथ परिवार को नौकरी देने की माँग की है। सर्व आदिवासी समाज ने माँग की है अब आदिवासी बच्चों का शोषण बंद होना चाहिए और अब छत्तीसगढ़ के आदिवासी मुख्यमंत्री को इन बच्चों के लिए पूर्ण रूप से पक्के इमारत बनायें जायें और विशेषज्ञ शिक्षकों की भर्ती करके गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अधिकार दिलाने का काम करना चाहिए।
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