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ग्रामोउद्योग के बदले अब उद्योग विभाग करेगा क्रियान्वयन
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना का उद्देश्य कारीगरों और शिल्पकारों की पहचान विश्वकर्मा के रूप में कर उन्हें सभी प्रकार लाभ प्राप्त करने योग्य बनाना है। इसके साथ ही उन्हें उपलब्ध उन्नयन कार्यक्रमों से जोड़कर उनका कौशल विकास करना और उनकी योग्यता क्षमता और उत्पादकता बढ़ाने के लिए आधुनिक उपकरण प्रदान करना है। इसके अलावा कोलेटरल फ्री लोन प्रदान करना तथा उनकी उन्नति के लिए विभिन्न बाजारों को जोड़ना शामिल है। उद्योग विभाग के अधिकारियों ने बताया कि एक वर्ष पूर्व इसका क्रियान्वयन ग्रामोद्योग विभाग द्वारा किया जाता था, अब उद्योग विभाग द्वारा किया जा रहा है। प्रदेश में 11 हजार 586 ग्राम पंचायतों के 6 लाख 37 हजार 230 शिल्पियों को योजना का लाभ पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है, जिसके विरूद्ध अब तक 3 लाख 23 हजार 371 शिल्पियों का पंजीयन हो चुका है। तथा 1403 हितग्राहियों का प्रशिक्षण उपरांत प्रमाण पत्र प्रदान किया गया है। इस योजना के तहत 314 हितग्राहियों का प्रशिक्षण जारी है।
*हुनरमंद युवा इससे होंगे लाभान्वित - उद्योग मंत्री श्री देवांगन*
वाणिज्य उद्योग एवं श्रम मंत्री श्री लखनलाल देवांगन ने कहा कि प्रधानमंत्री विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना का क्रियान्वयन अब ग्रामोद्योग विभाग के बदले उद्योग विभाग द्वारा किया जाएगा। इससे प्रदेश में 6 लाख से अधिक शिल्पियों को लाभ पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। इससे अनेकों हुनरमंद युवा इस योजना से लाभान्वित होंगे। सरकार की यह महत्वपूर्ण योजना है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय भी चाहते हैं कि कौशल उन्नयन (स्किल डेवलपमेंट) के जरिए युवा अपने पैरों पर आत्मनिर्भर बन सकें।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा एक वर्ष पूर्व 11 मार्च 2023 को प्रधानमंत्री विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना (पीएम विकास) की घोषणा की गई थी। इस योजना में शामिल 18 प्रकार के विभिन्न व्यवसाय के शिल्पियों को चिन्हित किया गया है। इनमें काष्ठ आधारित 01. बढ़ई, 02. नाव बनाने वाला, लोहा/धातु आधारित 03.अस्त्रकार, 04. लोहार, 05. लोहे का औजार निर्माता, 06. तालासाज, सोना/चांदी आधारित 07. सुनार शामिल है। इसी प्रकार मिट्टी आधारित 08. कुम्हार, पत्थर आधारित 09. मूर्तिकार/संगतराश, चमड़ा आधारित 10. चर्मकार, निर्माणकार आधारित 11.राजमिस्त्री, अन्य में 12. टोकरी, झाडू, चटाई, मैटदान बनाने वाला, 13. गुड़िया एवं अन्य खिलौने बनाने वाले, 14. नाई, 15. मालाकार, 16. धोबी, 17. दर्जी, 18. मछली पकड़ने का जाल निर्माता शामिल हैं।
योजना के अंतर्गत दिये जाने वाले लाभ इस प्रकार हैं। ऋण सहायता कोलेटरल फ्री उद्यम विकास ऋण - एक लाख रूपये तक (18 महिने के पुर्नभुगतान के लिए पहली किश्त) दो लाख रूपये तक (30 महिने की पुर्नभुतान के लिए दूसरी किश्त) रियायती ब्याज दर 05 प्रतिशत शामिल है। कौशल उन्नयन 05 दिवसीय बुनियादी प्रशिक्षण, 15 दिन या उससे अधिक का उन्नत प्रशिक्षण प्रशिक्षण मानदेय - 500 रूपये प्रतिदिन टूलकिट प्रोत्साहन, ई-वाउचर, ई-आरयूपीआई माध्यम से 15 हजार रूपये शामिल है।
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