ओलंपिक खेलों में नगद राशि की शुरुवात

लेखक - संजय दुबे

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 सारी दुनियां के खिलाड़ी इस बात के लिए उत्सुक रहते है कि उन्हें किसी भी सूरत में ओलंपिक खेलों में देश का प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिल जाए। ओलंपिक खेलों में सबसे बड़ा सम्मान पदक का होता है जो खिलाड़ी गोल्ड, सिल्वर या ब्रांज मेडल जीतता है। इन मेडल जीतने वालो में सबसे अधिक नाम गोल्ड मेडल जीतने वाले का होता है। भारत में उत्तर प्रदेश और हरियाणा राज्य के खिलाड़ी गोल्ड मेडल जीतते है तो 6करोड़ रुपए और शासकीय सेवा में द्वितीय श्रेणी के अधिकारी सेवा में नियुक्ति दी जाती है। ओलंपिक खेलों में 1896से पहले जैतून पत्ती का मुकुट सिर पर पहनाया जाता था कालांतर में गोल्ड, सिल्वर, ब्राँज मेडल प्रचलन में आए। ओलंपिक में पहले तो गैर प्रोफेशनल्स खिलाड़ियों को ही प्रवेश मिलता था लेकिन 1984लॉस एंजलिस ओलंपिक खेलों से प्रोफेशनल्स खिलाड़ी भी शामिल होने लगे है। 

128साल से खिलाड़ियों को केवल मेडल्स मिलते रहे है लेकिन नगद राशि कभी भी नहीं मिली। इस बार 8जुलाई 2024से पेरिस में होने वाले ओलंपिक खेलों में ट्रेक और फील्ड प्रतियोगिता में ट्रेक और फील्ड के 42स्पर्धाओं के लिए नगद ईनाम की घोषणा हुई है। गोल्ड मेडल जीतने वाले को 50हजार डॉलर याने 83रुपए एक डॉलर के हिसाब से41.50लाख रुपए नगद दिए जायेंगे। सिल्वर और ब्रांज मेडलिस्ट के लिए अभी नगद राशि की घोषणा नहीं हुई है। ओलंपिक खेलों का संघ अपने आय में से 90फीसदी राशि सदस्य देशों के ओलंपिक संघों को खेल के विकास के लिए देता है बचे दस फीसदी राशि से प्रबंधन का काम चलता है। ऐसे में एथलेटिक्स खेलो की स्पर्धाओं से जुड़े खिलाड़ी तभी नगद राशि के हकदार होंगे जब वे किसी जूते बनाने वाली कंपनी से स्पांसर्ड नही होंगे। अधिकांश नामी गिरामी मेडलिस्ट खिलाड़ियों को जूते बनाने वाली कंपनी स्पांसर करती है। ये भी जाहिर है कि जूते बनाने वाली कंपनी करोड़ो रुपए खर्च करती है लेकिन जो खिलाड़ी स्पांसर्ड नहीं है उनके लिए ये राशि कुछ तो काम आ सकती है यद्यपि राशि बहुत कम है फिर भी शुरुवात अच्छी है और आगे चल कर इसमें बढ़ोतरी होगी ही। ये शुभ लक्षण है


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