बीस साल हुए; "मैं हूं ना"... को
लेखक- संजय दुबे
शाहरुख खान को 38 साल की उम्र में अगर सबने देखा हो तो याद होगा कि उस दौर में वे फिल्मों को चलाने के बजाय दौड़ाने वाले स्टार थे।आज भी है लेकिन तब के जमाने में उनका नायकत्व जुदा था।
फराह खान अमूमन को कोरियोग्राफर के रूप में जाना जाता था उन्होंने फिल्म डायरेक्टर बनने का निर्णय लिया और फिल्म का नाम रखा "हम और तुम"। फराह को बाद में पता चला कि हम तुम नाम की फिल्म सैफ अली खान और रानी मुखर्जी के द्वारा अभिनीत फिल्म बन रही है तब फिल्म का "नाम मैं हूं ना" रखा गया
फराह खान के दिमाग में पुराने मसाला फिल्म बनाने वाले भरे पड़े हुए थे जो इमोशन, ड्रामा, मेलोड्रामा,कॉमेडी, नाच, गाना, क्लाइमेक्स सभी का मिस्क्चर बनाया करते थे। मनमोहन देसाई सबसे बड़े मसाला फिल्म मेकर थे जो तीन व्यक्तियों से एक साथ रक्त दान करवा कर जरूरतमंद व्यक्ति के शरीर में डलवा सकते थे। नासिर हुसैन और केतन आनंद सहित मसाला फिल्म मेकर्स से प्रेरणा ले कर फराह खान ने भी तय किया फिल्म मसाले से भरपूर रहेगी।
फिल्म में राम लक्ष्मण की भूमिका में शाहरूख और संजय खान के बेटे जायद खान को लिया गया। जायद खान , ऋतिक रोशन के विकल्प थे क्योंकि फराह खान को लगा था कि ऋतिक शाहरुख से उतने छोटे नहीं लगेंगे। इस फिल्म में शाहरुख खान के साथ साथ चार कैरेक्टर ऐसे थे जिन पर दर्शकों की निगाहे जमी रही। पहली थी सुष्मिता सेन, जो केमेस्ट्री की प्रोफेसर बनी। सुष्मिता की केमेस्ट्री भी बेहतरीन थी, सिफान की साड़ी में उनका जलवा देखते बनता था। माना जा सकता है कि कालेज की महिला प्रोफेसर के साथ क्रश होता रहा है।दूसरी थी अमृता राव, बिंदास कालेज की लड़की जो लडको के समान रहती थी लेकिन जिस दिन लड़की बन कर अवतरित होती है, मुंह खुले के खुले रह जाते है। फिर एक डायलॉग सुनने को मिलता है -मुंह तो बंद करो अंकल। चौथे थे सुनील शेट्टी जो पहली बार नेगेटिव रोल में आए थे।
दो और सहायक कलाकार अपने अभिनय से दिल जीते थे प्रिंसिपल बने भुल्लकड़ बोमन ईरानी और थूकने वाले प्रोफेसर सतीश शाह।
फिल्म में तमाम प्रकार का मसाला था। अतिरंजना के रूप में रिक्शा से कार का पीछा भी करना था। पहाड़ों से सैकड़ों फीट नीचे गिरने के बाद भी चक्को को कुछ न होना बताता है कि मैं हूं ना।सुपर क्लाइमेक्स!
183मिनट याने लगभग तीन घंटे की फिल्म में 44मिनट आठ गाने में खपाए गए थे। सालो बाद किसी फिल्म निर्माता ने अपनी फिल्म में कव्वाली रखा था -" तुमसे मिल के दिल का जो हाल क्या कहे, हो गया ऐसा हाल क्या कहे।" इसके अलावा "किसका है ये तुमको इंतजार मैं हूं ना" और "तुम्हे जो मैने देखा" गाने आज भी कर्ण प्रिय है। अब्बास टायरवाला की पटकथा में जितने मसाले डाले जा सकते थे,डले। 2004में मैं हूं ना ने 84करोड़ रूपये का सफल व्यवसाय किया था। फराह खान ने ये भी सिद्ध किया कि महिला डायरेक्टर भी सफल हो सकती है, उनसे पहले अनेक महिला फिल्म निर्देशक असफल हो चुकी थी।I am hear you know, ना।
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