पोर्शे कार एक्सीडेंट:क्या पैसा सच को झूठ बनाए जाने के लिए इस्तमाल हो चुका

लेखक- संजय दुबे

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 पैसा खुदा तो नहीं पर खुदा से कम भी नहीं, ये बात हम आप अक्सर सुनते रहते है। हाल ही में पुणे में सत्रह साल एक नाबालिग युवक द्वारा चोबीस साल उम्र के दो साफ्ट वेयर इंजीनियर्स को ढाई करोड़ की कार से कुचल कर मार दिया गया।अमीर बाप की बिगड़ैल औलाद को बिगड़ैल बाप ने जन्मदिन पर ढाई करोड़ को पोर्शे कार भेट की थी। जा बेटा बिना रजिस्ट्रेशन के बिना नंबर मिले कार में दारू पी और रेस लगा।जमकर नशेबाजी हुई,इसके बाद 200 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से शहरी क्षेत्र में कार चलाई गई । दुर्घटना के पूर्व का परिणाम सिद्ध करता है कि वाहन चालक परिणाम जानता था। परिणाम भी वही हुआ, जो हो चुका। एक युवक और एक युवती इस घटना में अकाल मृत्यु के शिकार हो गए।

इस घटना के बाद जो फिल्म बननी शुरू हुई वह अपने आप में रसूख और पैसे की गर्मी की है। धनवान दादा और बाप ने वो सारे रास्ते अख्तियार किए जो एक संपन्न परिवार अपने बिगड़ी हुई औलादो की गलतियों के परिणाम जानने के बाद करते है। हम आपको ऐसी बात सैकड़ो फिल्मों में देखने को मिली है और हकीकत में सलमान खान के हिट एंड रन वाले मामले में ज्ञात भी हुआ है।

पुणे के इस मामले में सबसे पहले दोषी कोई है तो घटना स्थल से संबंधित पुलिस स्टेशन के कर्मचारी है। दो दो संभावनाओं का गैर इरादतन हत्या करने वाले को पिज्जा खिलाना ये प्रमाणित करता है कि धनिक वर्ग अपनी चाल चल चुका था। महाराष्ट्र पुलिस के सर्वेसर्वा सहित गृह मंत्री की जिम्मेदारी है कि पता लगवाए कि इस घटना से पहले किस आरोपी को पश्चिमी सभ्यता का नाश्ता करवाया गया था। सरकार में निलंबन नाम की एक जादुई छड़ी है ।इसका उपयोग घटना पर जन आक्रोश के बढ़ने के बाद कर लिया गया है। पुलिस का काम साक्ष्य जुटाने का होता है। कार चलाने वाले की शिनाख्ति सहित मृत व्यक्ति के मृत्यु के कारण और घटना स्थल पर यदि साक्ष्य के रूप में वस्तु सहित चश्मदीद गवाह और सीसीटीवी फुटेज खंगाले जाने चाहिए। इन मामलों में पुलिस की भूमिका कमजोर है तो कड़ी कार्यवाही होना चाहिए।

 दूसरे क्रम पर पुणे के जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के जो भी कर्ता धर्ता है और देश भर में अनोखे न्याय के कारण न्यायिक व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लगा दिए है। भला ऐसा कोई न्याय होता है?

 आइए किए गए न्याय को पढ़ ले

1. सड़क दुर्घटनाओं और उनके समाधान विषय पर 300शब्दो में निबंध लिखेगा

2.15दिन तक ट्रैफिक पुलिस के साथ चौराहे पर खड़े होकर ट्रैफिक की मदद करेगा

3.शराब छोड़ने के लिए मनो चिकित्सक से इलाज करवाएगा

4.शराब छुड़ाने के लिए मुक्तांगन व्यसन केंद्र से मदद लेगा

5.भविष्य में कोई दुर्घटना देखे तो दुर्घटना पीड़ितों की मदद करेगा

  चलिए 1972की एक फिल्म "दुश्मन"को याद करते है। इस फिल्म में राजेश खन्ना को गैर इरादतन एक व्यक्ति की हत्या करने के बदले जेल में दो साल की सजा काटने के बदले उस मृत व्यक्ति के घर की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए घर में रहकर कार्य करने की सजा सुनाई जाती है। लगता है कि जुनाइल जस्टिस बोर्ड के अध्यक्ष ने भी निश्चित रूप से दुश्मन फिल्म देख कर निर्णय दिया लेकिन जिस स्वरूप में निर्णय सुनाया है उसकी जग हंसाई हो रही है। दो व्यक्तियों को मारने वाला भला सड़क दुर्घटना और उसके समाधान पर क्या निबंध लिखेगा!

 इस निर्णय के पीछे जो बात सामने दिख रही है वह है पैसा। धनिक वर्ग इस देश में सब कुछ खरीद सकता है, न्याय भी,

  सुप्रीम कोर्ट और मुंबई हाई कोर्ट को इस निर्णय के साथ साथ जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के अध्यक्ष के विरुद्ध जांच के आदेश की घोषणा करनी चाहिए।

 इस घटना में दो डॉक्टर गिरफ्तार हुए है। डॉक्टर्स भी दृश्यम 2,देखे हुए है।ये लोग भी पैसे के ही प्रभाव से ब्लड सैंपल बदलने का काम कर चुके थे। समझ सकते है कि दो व्यक्तियों की गैर इरादतन हत्या करने वाले को बचाने के लिए पैसा तीसरी जगह भी पहुंच चुका था।

 सलमान खान के हिट एंड रन के मामले में एक ड्राइवर की बड़े रोमांचक ढंग से एंट्री लिया था। ऐसा ही इस घटना में किए जाने का प्रयास किया गया। यहां भी बहुत बड़ी राशि का प्रलोभन ही रहा होगा। दुर्भाग्य से पैसा खुदा नहीं बन पाया और खेल लगातार बिगड़ते जा रहा है।

इस बार जन आक्रोश के चलते पुलिस, जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड, फोरेंसिक विभाग संदेह के दायरे में है ।विरोध के चलते बिगड़ैल लड़के के पिता और दादा भी सीखचो के पीछे है।

फिल्म अभी खत्म नहीं हुई है।पैसे के बल पर घंटे के हिसाब से लाखो रुपए नगद लेकर टैक्स चोरी करने वाले महंगे वकीलों की फौज खड़ी होगी। तर्क दिए जायेंगे, पैसा खुदा तो नहीं पर खुदा से कम भी नहीं होगा ।फिलहाल पैसा काम नही आर रहा है,खुदा को फुरसत भी तो मिलना चाहिए


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