99 के फेर में कांग्रेस

लेखक- संजय दुबे

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 क्या देश में उत्तर प्रदेश का जनादेश, देश का जनादेश है? ये प्रश्न पिछले दो दिनों से मनो

मस्तिष्क में है। कांग्रेस के 99सीट पाने के बाद हुए प्रेस कांफ्रेंस में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश का आभार व्यक्त किया। इनको इस बात की खुशी है कि भाजपा उत्तर प्रदेश में सारे दांव खेलने के बाद भी समाजवादी और कांग्रेस गठबंधन से पिछड़ गई। रायबरेली में राहुल गांधी जीत गए अमेठी में स्मृति ईरानी ,हार गई। यही 272सीट जीतने के बराबर हो गया।

 2024के लोकसभा चुनाव के 543लोकसभा सीट के नतीजे सामने आ चुके है।दो गठबंधनों की पार्टियों ने किस्मत आजमाया। पहला गठबंधन नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस(NDA) था। राष्ट्रीय पार्टी के रूप में इसमें केवल भारतीय जनता पार्टी थी, जिसे 240सीट में जीत मिली है।शेष 15 क्षेत्रीय दल है । इनमे टीडीपी 17, जेडीयू 12,शिव सेना (एकनाथ शिंदे) 07,लोकजनशक्ति पार्टी 05,प्रमुख है। शेष नौ क्षेत्रीय दलों को 10सीट मिली है।

 दूसरी तरफ इंडी गठबंधन है जिसमे तीन राष्ट्रीय दल चुनाव से पहले मिलकर लड़े। ये है कांग्रेस, आप , और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी। चुनाव के बाद चौथी राष्ट्रीय पार्टी तृणमूल कांग्रेस पार्टी भी शामिल हो गई है। इंडी गठबंधन में चार राष्ट्रीय स्तर की पार्टियों में से कांग्रेस 99, तृणमूल कांग्रेस29,मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी04और आप पार्टी को03सीट मिली है। चार राष्ट्रीय दलों को कुल 125सीट मिली है। इंडी गठबंधन में 36क्षेत्रीय दल शामिल है ।इनमे से समाजवादी पार्टी37, डीएमके 22, शिव सेना(उद्धव)09, एन सी पी (शरद पवार) 08,सहित आरजेडी 04, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग और आप 03-03 ,को मिलाकर 70सीट जीते है। शेष 29 क्षेत्रीय दलों को 38सीट मिली है। इंडी गठबंधन को कुल 233सीट मिले है।

दो राष्ट्रीय दल बहुजन समाज पार्टी और नेशनल पीपुल्स पार्टी ऐसी है जिन्हे 2024के लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली है।

  एनडीए गठबंधन ने अपने नेता के रूप दो बार के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को 292सीट के बहुमत वाले गठ बंधन का नेता स्वीकार कर सरकार बनाने का रास्ता प्रशस्त कर दिया है। इसका सीधा सा अर्थ है कि अगले पांच साल नरेंद्र मोदी प्रधान मंत्री रहेंगे। कांग्रेस को नेता प्रतिपक्ष मिलना तय हो गया है।

 इंडी गठबंधन ने भी अपने तरफ से 233 के नंबर को जादुई 272तक पहुंचाने की दिशा में एनडीए की बैठक के पहले तक प्रयास किया। एक तरफ नीतीश कुमार को याद दिलाया कि इंडी गठबंधन उन्ही की परिकल्पना है।नीतीश कुमार महत्वपूर्ण मौके पर पलटी मारने के लिए विख्यात है, ये मान कर और भी गोपनीय लोभ का भी प्रस्ताव दिया होगा। चंद्रबाबू नायडू को आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने का प्रलोभन दिया गया। बात नही बनी। 

ऐसा क्यों हुआ कि नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के प्रेस कांफ्रेंस में कही बात कि नए दलों के आने के बाद बनी बात का खुलासा पर्यावरण दिवस के दिन करेंगे।इस पर पूर्ण विराम लगा दिया?

 नीतीश कुमार, भाजपा के सहयोग से बिहार में सरकार चला रहे है और आंध्र प्रदेश में भाजपा के सहयोग से सरकार बनी है। इसके अलावा दोनो पार्टी जान रही है कि उन दोनो के 29सीट के सहयोग मिलने के बाद भी बहुमत संख्या 272से दस सीट पीछे याने 262ही पहुंचती है। इसके बाद 7निर्दलीय सहित चंद्र शेखर रावण बचते है ।ये सभी भी इंडी गठबंधन में शामिल होते है तब भी संख्या 270पहुंचती है। शेष दो कहां से लाते? इसका जवाब इंडी गठबंधन के किसी भी राष्ट्रीय दल अथवा क्षेत्रीय दल के पास नही है।ये भी कहा जा सकता था कि एन डी ए गठबंधन से कुछ और खीच लेंगे।

 माना कि कांग्रेस ने पिछले लोकसभा चुनाव में मिले 52सीट में इस बार 47सीट की बढ़त बनाई है लेकिन केवल केरल और महाराष्ट्र में दहाई संख्या पार कर 14और 13सीट जीती है कर्नाटक में खुद की सरकार होने के बावजूद 28में से केवल 09सीट जीती है। सात राज्य गुजरात, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश,उड़ीसा, छत्तीसगढ़, गोवा, सिक्किम, मेघालय में एक एक सीट मिली है। मध्य प्रदेश और उत्तराखंड,हिमाचल प्रदेश , सिक्किम,त्रिपुरा, मिजोरम में कांग्रेस की उपस्थिति शून्य है। 

दर असल कांग्रेस को इस बात की खुशी है कि भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश में एक तरफा जीत का जो दावा कर रही थी वह दावा कमजोर साबित हुआ। कोंग्रेस को इस बात का भी डर था कि पिछली बार अमेठी हार चुके है। भाजपा लहर में रायबरेली भी न हार जाए। सोनिया गांधी, राजस्थान से राज्यसभा में चली गई। वायनाड का मतदान होने के बाद राहुल गांधी रायबरेली पहुंचे। राजनीति में दांव पेच चलते है। राहुल गांधी के योजना को कांग्रेस ने तुरुप का पत्ता बताया और साबित भी हुआ।

 क्या 99सीट कांग्रेस की प्रतिष्ठा के अनुकूल है?देश की ग्रैंड ओल्ड पार्टी का देश के सबसे बड़े राज्य में 80में से 15सीट पर लड़ना वह भी राष्ट्रीय पार्टी होने के बाद एक क्षेत्रीय दल से समझौता करना, चिंतन का विषय है। ऐसा ही महाराष्ट्र में हुआ समझौता था। 48सीट में 17सीट कांग्रेस को मिली थी। तमिलनाडु में भी 39में से 10सीट मिलना बताता है कि राष्ट्रीय पार्टी को क्षेत्रीय पार्टी के नीचे रहने का समझौता करना पड़ा था।

 1952से लेकर 1971, 1980से 1989,तक कांग्रेस सिंगल लार्जेस्ट पार्टी हुआ करती थी। 1984चुनाव में 405सीट हासिल करने वाली पार्टी तीन लोकसभा चुनाव में क्रमशः 44,52,99 सीट पाने वाली राष्ट्रीय पार्टी अगर 99के फेर में सिर्फ इस बात से खुश है कि उत्तर प्रदेश की जनता ने उन्हे जनादेश दिया है तो भारत के बाकी राज्यों के जनादेश को भी समझने की जरूरत है। 

 एक बात और विशेष है कि कांग्रेस ने1991 में 232,2004में 141और 2009में सिर्फ 206सीट पाकर अपने गठबंधन के दर्जनों साथियों के साथ पूरे पांच साल सरकार चलाई है तो 240में भी नरेंद्र मोदी की सरकार दौड़ेगी। जान ले कि 99का ढाई गुना240से सिर्फ 6ज्यादा होता है।


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