पति तो पति पत्नी भी डेढ़ होशियार
लेखक- संजय दुबे
आम आदमी पार्टी में एक खास व्यक्ति हुए या बने इसकी रोचक कहानी चल ही रही है।इस कहानी में एक और खास व्यक्ति की एंट्री हुई है ये है भारतीय राजस्व सेवा से अनिवार्य सेवा निवृत्ति लेने वाली अधिकारी सुनीता केजरीवाल, सुनीता केजरीवाल, दिल्ली के तीन बार मुख्य मंत्री रहे अरविंद केजरीवाल की पत्नी है।सुनीता आमतौर पर राजनीति से दूर रहने वाली रही है। भारत के इतिहास में सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों में अरविंद केजरीवाल पहले मुख्य मंत्री है जो पद पर रहते हुए प्रवर्तन निदेशालय के द्वारा दिल्ली शराब घोटाले में गिरफ्तार किए गए हैं। अरविंद केजरीवाल विचित्र प्रकार की राजनीति करने वाले ढोंगी व्यक्ति माने गए है जिनके कथनी और करनी में जमीन आसमान का अंतर है। अन्ना हजारे के विरोध के बावजूद अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी बनाई थी। सरकारी घर में न रहने, सरकारी कार न लेने के खोखले वादे से पलट सरकारी मकान में रहने, करोड़ो रुपए खर्च कर आलीशान बनाने और सरकारी कार में घूमने का काम किए। जिस भ्रष्ट्राचार के खिलाफ आंदोलन किए।पानी पी पीकर कांग्रेस को गाली दिए उसी के साथ गल बहियां डालकर दिल्ली में सरकार बनाए। आगे सरकार बनाए तो जन कल्याण के साथ साथ दिखावे के लिए अपनी पार्टी में गलत काम करने वालो को बाहर का रास्ता दिखाया।इससे पलट खुद भी और अपने आसपास के मंत्री, सांसद विधायको के साथ खुद भी भ्रष्ट्राचार में लिप्त हो गए। मुख्य मंत्री,सहित मंत्री, राज्य सभा के सांसद शराब घोटाले में लिप्त पाए जाने के आरोपी बने है। एक मंत्री तो साल भर के करीब से जमानत नहीं ले पा रहे है। खुद मुख्य मंत्री अरविंद केजरीवाल अंतरिम जमानत मे चुनाव प्रचार के लिए बाहर निकले थे। खूब शोर गुल मचाए। दिल्ली सहित पंजाब में भी बुरी कदर हार गए। इंडिया गठबंधन में होकर दिल्ली में साथ साथ और पंजाब में एक दूसरे के खिलाफ लड़ने का काम अरविंद केजरीवाल ही कर सकते है। अरविंद केजरीवाल, राजनीति के कीचड़ को साफ करने आए थे।देश ने बड़ी उम्मीद भी की थी। दिल्ली के सड़को पर गुमटी वालो से लिए जाने वाले हफ्ता को बंद करवाया, मोहल्ला क्लीनिक चलाया, सरकारी स्कूलों का काया कल्प किया, महिलाओ को बस यात्रा मुफ्त में कराई।इन कार्यों को करते तो शायद सुचिता की राजनीति के पर्याय बनते। अरविंद केजरीवाल उसी कीचड़ में जा फंसे जिसे साफ करने का ढोंग कर रहे थे। उनके 2024के लोकसभा चुनाव के मतगणना के पहले जेल यात्रा(राजनीतिज्ञ लोगो की परिभाषा) में चले गए है। अब दिल्ली में बड़ी विकट स्थिति है। मुख्य मंत्री जेल से शासन चलाने पर आमादा है। उनके विश्वास पात्र सरकार चला रहे है।एक व्यक्ति पिछले दो महीनों से धीरे धीरे आप पार्टी में दखल देने का काम कर रही है वह है सुनीता केजरीवाल, (अरविंद केजरीवाल की जीवन साथी कह लीजिए) भारतीय राजस्व सेवा की अधिकारी रही महिला से कम से कम अच्छे कार्य की उम्मीद की जा सकती है लेकिन वे भी अरविंद केजरीवाल के साथ रहते रहते राजनीति का पाठ पढ़ जो किया जाए उचित है के रास्ते पर चल रही है। उनको इतनी तो अकल होना चाहिए था कि न्यायालयीन कार्यवाही का वीडियो न तो बनाया जा सकता है न ही उसे प्रचारित किया जा सकता है। ये न्यायालय का विशेषाधिकार है।वे अपनी कार्यवाही का सीधा प्रसारण कर ही रहे है लेकिन उसका किसी चैनल या सोशल मीडिया प्लेटफार्म में प्रसारण निजी व्यक्ति के द्वारा नहीं किया जा सकता है। ये कार्य न्यायालयीन अवमानना की श्रेणी में आता है। सुनीता केजरीवाल ने इस प्रकार का कार्य किया है। उन्हे न्यायालय से आदेश मिला है कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म से तत्काल सारे वीडियो हटाए। पढ़े लिखे लोग इस प्रकार की सस्ती लोक प्रियता के लिए ऐसा बखेड़ा खड़ा करे तो शोचनीय है। कानून में एक सिद्धांत है कि जितना बड़ा वाहन उतनी बड़ी सावधानी। यही बात आम जीवन में लागू होती है। सुनीता केजरीवाल पढ़ी लिखी? पर भी लागू होती है।सावधानी हटी, दुर्घटना घटी
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