न्यायालय, जमानत और अरविंद केजरीवाल
लेखक - संजय दुबे
न्यायालय,जमानत और अरविंद केजरीवाल तीन संस्थान,प्रक्रिया और व्यक्ति है जिन पर लगातार देश दुनियां में चर्चा हो रही है, बहस हो रही है और वाद विवाद भी हो रहा है,होना भी चाहिए क्योंकि एक दशक से सोशल मीडिया के प्लेटफार्म में विचारो के संप्रेषण की जो बाढ़ आई है उसने निर्विवाद रूप से बहुत सारे सच को अभिव्यक्त करने का अवसर सामान्य व्यक्ति को मिला है।
अंग्रेजी भाषा का एक शब्द है "trolling" और दूसरा शब्द है "treanding " ।
दोनो शब्द का अर्थ है । Trolling का अर्थ है किसी विषय पर विवादास्पद विचार की अभिव्यक्ति और trending का अर्थ है लोकप्रिय विषय पर अभिव्यक्ति। पिछले कई समय से अरविंद केजरीवाल
Trolling और trending दोनो में है। इसका कारण है देश की दो दो जांच एजेंसी ईडी और सीबीआई दोनो उनके आगे पीछे खड़ी हो गई। दोनो एजेंसी के अनुसार अरविंद केजरीवाल दिल्ली के शराब नीति में स्वयं की पार्टी के लिए अनुचित लाभ लिए हुए है। दोनो जांच एजेंसियां ये भी बता रही है कि उनके पास "पर्याप्त सबूत" है और इसी कारण न केवल अरविंद केजरीवाल बल्कि उनके सहयोगी मनीष सिसोदिया और संजय सिंह को भी गिरफ्तार किया गया है। संजय सिंह, जमानत पर है । अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया विभिन्न स्तर पर जमानत की प्रक्रिया में देश के नामी गिरामी वकीलो के माध्यम से प्रयासरत है।
अरविंद केजरीवाल देश के प्रथम मुख्य मंत्री बनने का सौभाग्य प्राप्त किए है जिन्हे पद पर रहते गिरफ्तार किया गया है।
स्वतंत्र भारत में 1952से लेकर अबतक दिल्ली के पहले मुख्य मंत्री चौधरी ब्रह्म प्रकाश यादव से लेकर देश के सभी राज्यों के किसी भी मुख्य मंत्री को किसी भी जांच एजेंसी ने पद में रहते गिरफ्तार नही किया है। अरविंद केजरीवाल सामान्य ज्ञान के महत्वपूर्ण प्रश्न हो गए है। गिरफ्तार होने के बावजूद संवैधानिक पद पर कार्य करने की लालसा खत्म नहीं हुई है,ये अलग विषय है।
जमानत, न्यायालयीन प्रक्रिया है जिसमे सम्पूर्ण रूप से संबंधित न्यायधीश का अधिकार होता है कि जिस व्यक्ति के जमानत के लिए आवदेन लगा है उसके प्रकरण की गंभीरता, भविष्य में पड़ने वाले प्रभाव, साक्ष्यों पर पड़ने वाला असर और व्यक्ति के रहने या भागने के बारे विचार के बाद निर्णय होता है।
मनी लांड्रिंग के मामले में ईडी के चक्कर में फंसे अरविंद केजरीवाल को फटाफट आवदेन करने के बाद भी सुप्रीम कोर्ट ने जमानत नहीं दिया था। बीमारी, जमानत पर रिहा होने का सर्व श्रेष्ठ उपाय है लेकिन न्यायालय देश में उपलब्ध चिकित्सा व्यवस्था के चलते इस कारण जमानत नहीं देती है। अरविन्द केजरीवाल ने जेल के भीतर कई स्वांग रचे लेकिन जमानत पाने में असफल रहे। लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए अंतरिम जमानत (21दिन)की पा गए थे। प्रचार से लाभ क्या मिला दिल्ली की सातों सीट गवां बैठे उल्टा पंजाब में भी साख गिर गई।
नए सिरे से निचली अदालत में जमानत के लिए आवदेन लगाए। जमानत मिली लेकिन निर्णय ट्रोल और ट्रेंडिंग में ऐसे फंसे कि हाई कोर्ट में ईडी के आवेदन पर जमानत से रिहाई में रोक लग गई। आदेश सुरक्षित किया गया तो अधीरता में सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। सुप्रीम कोर्ट आवदेन को स्वीकार तो नही किया लेकिन हाई कोर्ट के आदेश को आपत्ति जनक माना। हाई कोर्ट ने आदेश सुनाते हुए जमानत रद्द कर दी।
अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते कि सीबीआई की एंट्री हो गई। सीबीआई ने अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया है। सीबीआई पद का दुरुपयोग कर अधिकारों के उल्लंघन का मामला चला ही रही है।
सुप्रीम कोर्ट में ईडी के मनी लांड्रिंग के मामले में जमानत पा भी जायेंगे तो सीबीआई के मामले में फिर से निचली अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा। जांच एजेंसी हवाला देंगी की मामला संगीन है और अरविंद केजरीवाल को जमानत दिए जाने पर सबूतों के साथ छेड़ छाड़ सहित प्रकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने सहित पद प्रभाव का दुरुपयोग करने के अलावा पर्याप्त साक्ष्य होने की बात करेंगे।
मामला पक्ष विपक्ष और दिए जाने वाले दलील पर न्यायालय में जायेगा लेकिन अब न्यायालय के निर्णय भी जनता की दरबार में प्रशंसा और आलोचना के घेरे में आ चुकी है। अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिलने पर जो ट्रॉलिंग और ट्रेंडिंग हुई वो बेमिसाल थी। सुप्रीम कोर्ट को अंततः ये कहना पड़ा था कि हम आलोचना का स्वागत करते है। दिल्ली की निचली अदालत से भी अरविंद केजरीवाल को जमानत मिली तो यह निर्णय भी ट्रोल और ट्रेंडिंग में आ गया।
राजनीति का अपना स्वर होता है ट्वीटर में एक ट्वीट देखा किसी का कहना था ये जुल्म की इंतिहा है। संविधान की शपथ खा कर संवैधानिक संस्थाओं के निर्णय पर राजनैतिक टिप्पणी एक वर्ग, पार्टी को सुकून दे सकती है लेकिन न्यायधीश इससे परे होते है। आप पार्टी के नेताओ को ये समझना होगा कि भले ही इंडिया गठबंधन में आप पार्टी है लेकिन अरविंद केजरीवाल ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका वाड्रा सहित उनके पति और दीगर दलों के नेताओ को बेईमान बताने में कोई भी मंच नहीं छोड़ा था।ऐसे में राजनीति के घड़ियाल आंसू जरूर बहाएंगे लेकिन भीतरी मन से मनाएंगे भी अरविंद केजरीवाल ईडी और सीबीआई के रग्गे में फंसे रहे। राजनीति में लाभ भी देखा जाता है जो किसी को नुकसान पहुंचा कर पाया जाता है।
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