विंबलडन की नई रानी की ताजपोशी

लेखक - संजय दुबे

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140साल पुरानी टेनिस की दुनियां में खेले जाने वाले चार ग्रैंड स्लेम ऑस्ट्रेलियन,फ्रेंच अमेरिकन और विंबलडन में हर टेनिस खिलाड़ी चाहता/चाहती है कि जिंदगी में एक बार सेंटर कोर्ट में विजेता होकर ट्रॉफी उठा ले लेकिन हर किसी खिलाड़ी के किस्मत में ऐसा संभव नहीं होता है 

 कल ही बात ले तो चेक गणराज्य की बारबरा क्रेजिकोवाओर इटली की पाओलोनी के बीच हुए मुकाबले में पहले दो सेट में दोनो खिलाड़ी ट्रॉफी लेते दिख रहे थे। तीसरे सेट के पहले दो गेम में भी बराबरी का मामला था लेकिन अनुभव क्रेजिकोवा के लिए काम आया 6-1,2-6,6-4के अंतर से जीत गई और नई चैंपियन बनकर ट्रॉफी के साथ खड़े हो गई।

 विंबलडन में महिला स्पर्धा 1884 से शुरू हुई और 1915से1918,1940से1945और 2020के साल को छोड़ दे तो विंबलडन 1884 से 1967तक गैर पेशेवर खिलाड़ियों के लिए सीमित था।1967के बाद पेशेवर खिलाड़ियों के लिए खोल दिया गया।

 गैर पेशेवर महिला खिलाडियों में हेलेन विल्स मूडी सर्वाधिक आठ बार ट्रॉफी जीतने वाली खिलाड़ी थी।डोटोथिया लेबर्ट चेमबर्ट छः बार जीतने वाली खिलाड़ी थी।

 पेशेवर युग आया तो मार्टिना नवरातिलोवा ने सारे रिकार्ड ध्वस्त करते हुए सर्वाधिक नौ बार जीत का ऐसा रिकार्ड बनाया है जो अब तक स्थापित है। नवरातिलोवा लगातार छः बार लगातार विंबलडन चैंपियन रही है।नवरातिलोवा के बाद स्टेफी ग्राफ सात बार ट्रॉफी उठाई है। सुजेन लेग्नेन औरबिली जीन किंग छः छः बार ट्रॉफी जीती हैं। इन नौ खिलाड़ियों ने 55बार ट्रॉफी जीता है।

 लोटी टोड , सुजेन लेंगनेन, हेलेन विल्स मूडी, लुइस ब्राफ बिली जीन किंग और स्टेफी ग्राफ ऐसी खिलाड़ी है जिन्होंने तीन लगातार साल में विंबलडन चैंपियन रही हैं।


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