ओलंपिक का सफर एक सिल्वर चार ब्रॉन्ज में खत्म !

लेखक - संजय दुबे

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   142करोड़ आबादी वाला देश भारत, जनसंख्या के मामले में गोल्ड मेडलिस्ट है।जनसंख्या नीति न होने के कारण देश बेलगाम रूप से ऐसा रिकार्ड बना रहा है जिसे सालो तक होने वाले जनसंख्या ओलंपिक खेलों में कोई देश नहीं तोड़ पाएगा। हम चाहते है कि गोल्ड मेडल मिले लेकिन जनसंख्या के खेल में जरूर चाहेंगे कि इसमें हम फिसड्डी साबित हो। 1896से 2024के अंतराल में 33ओलंपिक खेल आयोजित हुए है( द्वितीय विश्व युद्ध अवधि 1940 और 1948को छोड़कर)। भारत ने सही मायने में 1928से ओलंपिक खेलों मे भाग लेना शुरू किया यद्यपि 1900के पेरिस ओलंपिक खेलों में भारत में जन्मे नॉर्मन पिचार्ड ने दो सिल्वर मेडल जीता था। सही मायने में देश के रूप में जीतने का क्रम 1928 में हॉकी के गोल्ड मेडल जीतने के साथ ही शुरू हुआ। 1952 के ओलंपिक खेलो में भारत पहली बार हॉकी छोड़ किसी अन्य स्पर्धा(कुश्ती) में के डी जाधव ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था।1952 के बाद आबादी बढ़ती गई लेकिन मेडल लाने का जिम्मा केवल हॉकी टीम का था। देश में कोई खेल नीति नहीं थी। हमारे राजनीतिज्ञों ने देश दुनिया के संविधान को छांट छांट कर कर ले आए। नकल करने के मामले में बराबरी पर रहे लेकिन "खेलोगे कूदोगे होगे खराब" का आदर्श लिए बढ़ते रहे।हॉकी में एस्ट्रोट्रफ आया तो हॉकी में भी पिछड़ गए। 1980का मास्को ओलंपिक आखरी गोल्ड मेडल का आयोजन था। 1984से लेकर1992के तीन ओलंपिक में भारत पदक तालिका में नही था। 1996से व्यक्तिगत रूप से पदक जीतने की शुरुवात हुई । लिएंडर पेस ने ब्रॉन्ज मेडल जीतकर के डी जाधव परंपरा को आगे बढ़ाया। महिलाओ में कर्रनम मल्लेश्वरी ने 2000ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर महिला सशक्तिकरण को दिखाया।इसके बाद आयोजित किसी भी ओलंपिक में भारत बेरंग नही लौटा। 2004में राज्यवर्धन सिंह राठौर ने निशानेबाजी में सिल्वर मेडल जीता।2008 में अभिनव बिंद्रा ने अभिनव परंपरा की शुरुवात करते हुए निशानेबाजी में गोल्ड मेडल साधा। इसी साल पहलवान सुशील कुमार और मुक्केबाज विजेंदर कुमार ने मुक्केबाजी में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर 1952के बाद देश को दो से अधिक मेडल दिलाया।2012का ओलंपिक भारत के लिए उपलब्धि का ओलंपिक खेल था। पहलवाल सुशील कुमार ने लगातार दो ओलंपिक खेलों में व्यक्तिगत रूप से दो मेडल जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने। सुशील कुमार और विजय कुमार ने सिल्वर मेडल जीता। साइना नेहवाल (बैडमिंटन), मेरी कॉम (मुक्केबाजी), योगेश्वर दत्त (कुश्ती),गगन नारंग (शूटिंग),

  में ब्रॉन्ज मेडल जीते।

2016ओलंपिक खेलों में पी वी सिंधु ने सिल्वर मेडल जीता । साक्षी मलिक (कुश्ती) ने ब्रॉन्ज मेडल जीता। 1928से लेकर2012के बाद ये पहला ओलंपिक खेल था जिसमे बेटियों ने देश को मेडल तालिका में लाया था। किसी भी पुरुष को मेडल नहीं मिला था।

2020ओलंपिक खेलो में एक बार फिर भारत 6मेडल लेकर आया। नीरज चोपड़ा ने भाला फेंक प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीतकर अभिनव परंपरा के वाहक बने। मीरा बाई चानू ने वेट लिफ्टिंग में सिल्वर मेडल जीता। लवलीना बोरगोहन (कुश्ती),बजरंग पुनिया(कुश्ती) पी वी सिंधु ने बैडमिटन में ब्रॉन्ज मेडल जीता । सिंधु दो ओलंपिक खेलों में दो मेडल जीतने वाली पहली महिला खिलाड़ी बनी। भारतीय हॉकी टीम ने 40साल बाद मेडल तालिका में अपना नाम लिखवाया।

2024का ओलंपिक खेलो में 10मेडल की उम्मीद थी। हमारे 6 मेडल थोड़े से प्रयास की असफलता कहे या दीगर खिलाड़ियों की सफलता, हाथ से फिसल गए। नीरज चोपड़ा के सामने इस बार पिछले ओलंपिक खेल के सिल्वर मेडलिस्ट पाकिस्तान के नदीम आ गए। इस बार उनका भाला गोल्ड मेडल की लंबाई को नाप गया। नीरज चोपड़ा दो ओलंपिक खेलों में दो मेडल जीतने वाले तीसरे खिलाड़ी बने लेकिन एक गोल्ड और एक सिल्वर मेडल जीतने वाले वे पहले खिलाड़ी है।

 अब बात एक ऐसे होनहार महिला शूटर की जिसने इतिहास रचा। मनु भाकर इस बीटियां का नाम है। पिछले ओलंपिक खेल में पिस्टल के बिगड़ जाने से फाइनल नहीं पहुंच पाई थी। इस बार सारी कसर निकालते हुए तीन स्पर्धा में फाइनल पहुंची और दो मेडल में निशाना साध दिया। भले ही मनु ने ब्रॉन्ज मेडल जीता लेकिन एक ओलंपिक खेल में दो मेडल जीतने वाली पहली महिला खिलाड़ी बनी। अगर अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक संघ की इस बात को मान ले कि 1900फ्रांस ओलंपिक खेलों में दो मेडल जीतने वाले पिचार्ड 

 भारतीय खिलाड़ी थे तो 124साल बाद किसी महिला में इस रिकार्ड को भी बराबर कर लिया है। मनु ने जिस परंपरा की शुरुवात की है उसके अनुरूप ही आने वाले समय मे भारतीय खिलाड़ी प्रदर्शन करेंगे इसी उम्मीद के साथ 2028में लॉस एंजेलिस में मिलेंगे।


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