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'संत का आचरण और चरित्र कानूनी समाधान से अधिक महत्वपूर्ण': दिल्ली उच्च न्यायालय
दिल्ली उच्च न्यायालय ने ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती द्वारा गोविंदानंद सरस्वती के खिलाफ दायर दीवानी मानहानि के मुकदमे के संबंध में नोटिस जारी किया।
गोविंदानंद सरस्वती के खिलाफ अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती द्वारा दीवानी मानहानि का मुकदमा दायर किया गया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि अविमुक्तेश्वरानंद एक “नकली बाबा” थे। इसके अलावा, गोविंदानंद सरस्वती ने बाद में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से राजनीतिक समर्थन प्राप्त करने का भी आरोप लगाया।
स्वामी गोविंदानंद सरस्वती ने हाल ही में अविमुक्तेश्वरानंद के खिलाफ सनसनीखेज आरोप लगाए, जिसमें दावा किया गया कि वह साधु, संत या संन्यासी जैसी उपाधियों के लायक नहीं हैं। उन्होंने उन्हें शंकराचार्य के रूप में संबोधित करने के लिए मीडिया की भी आलोचना की।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि संतों को मानहानि से चिंतित नहीं होना चाहिए। हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती द्वारा गोविंदानंद सरस्वती के खिलाफ दायर दीवानी मानहानि के मुकदमे के संबंध में की।
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