मणिपुर उच्च न्यायालय ने व्यक्ति को दी गई 'डिफ़ॉल्ट ज़मानत' रद्द की

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मणिपुर उच्च न्यायालय ने आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए के तहत आरोपी को 'डिफ़ॉल्ट ज़मानत' देने के एक विशेष अदालत के आदेश को खारिज कर दिया है। उच्च न्यायालय ने आरोपी के इस दावे को खारिज कर दिया कि उसके खिलाफ़ आरोपपत्र "अधूरा" था।

'डिफ़ॉल्ट ज़मानत' से तात्पर्य उस राहत से है जो किसी आरोपी को तब मिलती है जब अधिकारी निर्दिष्ट अवधि के भीतर जाँच पूरी नहीं करते हैं।

मणिपुर की राजधानी इंफाल में राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) की एक विशेष अदालत ने 39 वर्षीय आरोपी मार्क थांगमांग हाओकिप को इस आधार पर 'डिफ़ॉल्ट ज़मानत' दी थी कि जाँचकर्ताओं ने आरोपपत्र दाखिल करते समय अभियोजन पक्ष की मंज़ूरी नहीं ली थी, जिससे यह "अधूरा" हो गया।


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