वर्गिस कुरियन याने अमूल
लेखक - संजयदुबे
दक्षिण के एक व्यक्ति यदि 1965 में भाषाई पचड़े से दूर केरल से निकल कर गुजरात जाता है,विरोधाभास के बीच श्वेत क्रांति के लिए जमीन तैयार करता है और निरंतर प्रयास के दम पर देश मे दूध की नदी बहा कर एक ऐसे युग का सूत्रापात करता है कि देश मे वे मिल्क मेन का दर्जा पाते है। जिस प्रकार स्वामीनाथन को हरित क्रांति के लिए जाना जाता है वैसे ही बर्गीस कुरियन श्वेत क्रांति के लिए याद किया जाएगा। देश मे बहुत कम लोग हुए है जिन्होंने धर्म, जाति, लिंग,भाषा से ऊपर जाकर डेज़ह के लिए वैसे ही सेवा की है जैसा वैज्ञानिक ए पी जे कलाम ने किया था। इस देश मे अनाज की समस्या को स्वामीनाथन ने जनसंख्या के अनुपात में हल कर दिया उनके ही समकक्ष कुरियन ने सहकारिता के माध्यम से दूध उत्पादन के साथ गोवर्धन के लिए बेमिसाल योजना बना कर क्रियान्वयन किया। "अमूल" एक सहकारी संस्था है, जिसे मिसाल बना कर कुरियन ने देश के समक्ष तब रखा जब निजी संस्थाओं पर लोगो को विश्वास नही था। अमूल को स्थापित करने में गुजरात के दूध माफिया के तगड़े विरोध का भी कुरियन को सामना करना पड़ा था लेकिन वे डिगे नही।बढ़ते गए। उन्होंने अमूल को गुजरात से निकाल कर देश के कोने कोने तक पहुँचाया और लोगो मे विश्वास जगाया कि देश की संस्थाएं बेहतर परिणाम दे सकती है। अमूल को दूध से घी,दही,मठा,मक्खन, खोवा,पनीर,चीज़, के अलावा लस्सी के उत्पादन और वितरण में शानदार उपलब्धि हासिल करवाई। वे मार्केटिंग के नायक थे इसलिए अमूल के विज्ञापन के लिए एक ब्रांड भी तैयार किया जो हर घटना विशेष के साथ अवतरित होती है। कल कुरियन विस्मृत हो गए थे उनका 99 वा जन्मदिन था,यदि वे जीवित होते तो। आज वे नही है लेकिन नेस्ले जैसी विदेशी कम्पनी उनके सामने आज भी टिक नही पाई ।ये जरूर हुआ कि अमूल की सफलता ने हर राज्य को अपना दुग्ध संघ खोलने का विचार जरूर ढिया। आज लगभग हर राज्य अमूल कर तर्ज़ में काम कर सहकारिता को पुख्ता कर रहा हर। लाभांश को समान रूप से विस्तारित कर रहा है। एक व्यक्ति के विचार का इससे बड़ा योगदान और क्या हो सकता है। इस देश मे राजनीति क्षेत्र से संबंध रखने वाले मरे लोग जिनका योगदान किसी पार्टी विशेष को बनाने में है तो भारत रत्न बन सकते है।किसी राज्य में किसी व्यक्ति की जाति से लाभ लेना हो तो भारत रत्न दिया जा सकता है मरने के बाद भी लेकिन स्वामीनाथन और कुरियन को उनकी ए पी जे कलाम के समकक्ष उपलब्धि के बावजूद भारत रत्न नही बनाया जा सकता है। मोदी के द्वारा भी नही। इस प्रकार की दलगत राजनीति से मन दुखी तो होता है।
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