क्या भारतीय किसानों ने किसी नए कृषि क़ानून की माँग की थी?

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भारत में किसान आंदोलन का इतिहास पुराना है और पंजाब, हरियाणा, बंगाल,दक्षिण और पश्चिमी भारत में पिछले सौ वर्षों में कई विरोध-प्रदर्शन हुए हैं।

 इस बार भी कुछ वैसा ही हुआ है क्योंकि किसानों का मानना है उन्हें जो चाहिए था वो नए क़ानून में नहीं है।

केद्र सरकार कहती रही है कि असल में नया क़ानून किसानों के हित की ही बात करता है क्योंकि अब किसान अपनी फ़सलें निजी कम्पनियों को बेच सकेंगे और ज़्यादा पैसे कमा सकेंगे। लेकिन किसान संगठनों ने इस ऑफ़र को इस बिनह पर ख़ारिज किया है कि ये तो कभी माँग ही नहीं रही।

कृषि-अर्थशास्त्र के विशेषज्ञ प्रोफ़ेसर आर रामकुमार के मुताबिक़, किसान की माँग यही रही है कि उसे ज़्यादा मंडियाँ चाहिए, लेकिन नए क़ानून के बाद ये सिलसिला ही ख़त्म हो सकता है।

उन्होंने बताया, ये भी माँग रही है कि प्रोक्यूरमेंट सेंटर ज़्यादा क्रॉप्स के लिए और ज़्यादा राज्यों में खोलें जिससे अधिकतम किसानों को इसका लाभ मिले। लेकिन सरकार ने प्रोक्यूरमेंट सेंटर ज़्यादातर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में ही खोल के रखा है। इसकी वजह से वहाँ ज़्यादा प्रोक्यूरमेंट होता है और दूसरे प्रदेशों में कम, माँग ये भी रही है कि कॉंट्रैक्ट फ़ार्मिंग कई जगह पर हो रही है लेकिन उसका कोई रेगुलेशन नहीं है, उसका रेगुलेशन लाइए"

क्योंकि ऐतिहासिक तौर से भारत एक कृषि- निर्भर अर्थव्यवस्था रही है तो ज़ाहिर है इसमें बदलाव भी आते रहे हैं।

लेकिन ज़्यादातर बदलाव धीमी गति के रहे हैं जिनके केंद्र बिंदु में किसानों के हितों को रखने के दावों पर राजनीति भी हुई है। संसद में इस नए क़ानून को लेकर खींचतान बनी रही और विपक्ष ने सरकार पर किसानों की राय न लेने का आरोप लगाया है।

सेंटर फ़ॉर पॉलिसी रिसर्च की फ़ेलो और अशोका यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाली मेखला कृष्णमूर्ति का मानना है कि इस आंदोलन के बाद सबकी निगाहें सरकार पर ही रहेंगी।

उन्होंने बताया, ये जो नया क़ानून है उनका कहना है कि हम ट्रेड को फ़्री कर देंगे, कि आपको मंडी में लाइसेंस नहीं लेना पड़ेगा, आप कहीं भी ट्रेड कर सकते हैं।भारत में 22 राज्य ऐसे हैं जहाँ ये पहले से ही लागू है कि आप मंडी के बाहर लाइसेंस लेकर ख़रीद सकते हैं। किसान का शक़ है कि आप मंडी को तोड़ रहे हैं और दूसरी तरफ़ वो किसान जिसके पास मंडी कभी आई ही नहीं है, वो सोच रहे हैं मंडी कब आएगी।


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