एपीएमसी क्या है और किसान इसकी बात क्यों कर रहे हैं?

feature-top
किसानों की आर्थिक सुरक्षा के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था लागू हुई थी। अगर बाज़ार में क़ीमतें गिरने लगती हैं तो भी सरकार को कृषि उत्पाद एमएसपी पर ख़रीदनी होती है। इससे किसानों को वित्तीय नुकसान नहीं होता है। एक कृषि उत्पाद का एमएसपी देश भर में एक समान होता है। कृषि मंत्रालय कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की आंकड़ों के हिसाब से एमएसपी निर्धारित करता है। मौजूदा समय में सरकार 23 फसलों की ख़रीद एमएसपी के हिसाब से करती है। हालांकि किसानों को कहना है कि सरकार गेहूं और धान के भंडारण के लिए बड़े पैमाने पर ख़रीद करती है और इन दोनों फ़सलों के अलावा शायद ही कोई फसल वे एमएसपी पर बेच पाते हैं।खुले में तो और भी नहीं। केंद्र सरकार के नए कृषि क़ानूनों के चलते अब किसान एपीएमसी मंडी के बाहर खुले बाज़ार में अपना उत्पाद किसी भी क़ीमत पर बेच पाएंगे। लेकिन किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी चाहते हैं। किसानों को आशंका है कि अगर एमएसपी की गारंटी नहीं होगी तो निजी कंपनियां किसानों को क़ीमतें कम करने पर मज़बूर कर सकती हैं. किसानों का आरोप है कि ये क़ानून एमएसपी को ख़त्म करने की दिशा में पहला क़दम है हालांकि सरकार इससे इनकार कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार कह चुके हैं कि एमएसपी को समाप्त नहीं किया जाएगा और सरकारी ख़रीद भी जारी रहेगी. लेकिन सरकार यह भरोसा लिखित में देने को तैयार नहीं है। सरकार का कहना है कि पहले के क़ानूनों में भी एमएसपी की बात शामिल नहीं थी,इसलिए अब इसे क्यों शामिल किया जाए। लेकिन अब यह दोनों पक्षों की बातचीत में बड़ा मुद्दा बनकर सामने आया है।
feature-top