एक इकाई को अधिकार मिलने का मतलब यह नहीं कि अन्य इकाइयों के अधिकार कम हो जाएंगे : सिंहदेव

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पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री टी एस सिंहदेव ने कहा कि पिछले वर्षों में छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की सरकार रही जब उन्होंने पेसा कानून के नियम बनाने में संकोच किया, शायद उस समय राज्य सरकार को यह डर रहा कि उनके अधिकार सीमित हो जाएंगे। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जिस प्रकार ग्राम पंचायतों के आने से लोकसभा-विधानसभा भंग नहीं हो जाती उसी प्रकार किसी एक इकाई को अधिकार मिलने से दूसरी इकाई के अधिकार पर फर्क नहीं पड़ता है। आगे पेसा कानून पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा एक मॉडल नियम एवं राज्य शासन के अधिकारियों द्वारा भी नियमावली तैयार है लेकिन क्षेत्रीय नियमों के लिए स्थानीय आमजनों से सुझाव आवश्यक हैं, जिसके लिए हम विभिन्न क्षेत्र के आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने पेसा को लेकर अलग-अलग राज्यों के लिए नियम बनाये हैं जिन्हें राज्य की परिस्थिति के अनुरूप लागू किया जाना है, गुजरात, महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश जैसे राज्यों ने इन नियमों को संशोधित करते हुए राज्य में लागू किया है। हमारी प्राथमिकता है कि हम आप सभी आदिवासी समाज के लोगों के सुझाव एकत्रित करके इन नियमों को बजट सत्र तक विधानसभा में पेश करें।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि इन बैठकों में पेसा कानून के 37 बिंदुओं पर आदिवासी समाज से प्राप्त सुझावों को लिपिबद्ध करने का कार्य किया जा रहा है जिसके उपरांत वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा पुनः अवलोकन कर विधानसभा में कानून बनाने के लिए पेश किया जाएगा। पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री टी एस सिंहदेव ने विशेष जोर देते हुए कहा के ग्राम पंचायतें ग्रामसभा के प्रति उत्तरदायी होंगी, जिसके लिए हमें प्रमुख नियमों एवं पेशा कानून के ढांचे पर चर्चा करने की आवश्यकता है।


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