स्टील उद्योग के इतिहास में पहली बार सरिया ने लगाई ऐतिहासिक छलांग, आसमान छू रही हैं कीमतें

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स्टील उद्योग के इतिहास में पहली बार सरिया ने ऐतिहासिक छलांग लगाई है। लोहे के दाम आसमान छू रहे हैं। थोक में जाए इसकी कीमत 52 हजार रुपए टन के करीब पहुंच गई है। वहीं चिल्लर में पहली बार 54 हजार रुपए टन में बिक रहा है। पहली दफा है जब सरिया में इतनी आग लगी हुई है। कितने दाम बढऩे का कोई ठोस कारण सामने नहीं आ रहा है। बातचीत में यह बताया जरूर जाता है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेजी के कारण यह स्थिति बनी हुई है।परंतु लोहे के दाम इतना बढऩे से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा। लागत कई गुना बढ़ती जा रही है। आने वाले दिनों में कीमतों में कोई राहत मिलने की संभावना फिलहाल दिखाई नहीं पड़ती है। विगत 10-12 साल के भीतर सरिया का भाव इतना कभी नहीं हुआ है जितना अभी हो गया है। सरिया के व्यवसाय से जुड़े लोगों का कहना है कि उन्होंने पहली दफा इतना भाव देखा है। अबकी बाजार में सरिया की अभी उतनी ज्यादा मांग भी नहीं है फिर भी भाव लगातार बढ़ रहे हैं यह सरिया के व्यवसाय से जुड़े लोगों के भी समझ से दूर है।बॉक्समांग कम फिर भी भाव ज्यादासरिया का व्यापार करने वाले लोगों का कहना है कि वर्तमान समय में लोहे की इतनी ज्यादा मांग नहीं है, फिर भी भाव बहुत ज्यादा बढ़ गए हैं। जो समझ से परे है। उनका कहना है कि लोहे के दाम बढऩे की वजह से भी मांग घटी है। लगातार दाम बढऩे के चलते लोग लोहा खरीदने से बच रहे हैं। केवल वे ही लोग लोहा खरीद रहे हैं जिन्हें खरीदना अति आवश्यक है। दाम बढऩे का असर व्यापार व्यवसाय पर भी पड़ा है। बॉक्सखबर है कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी इस्पात विनिर्माताओं को मुनाफाखोरी के प्रति सचेत किया है। इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखा है और कहा है कि अगर कंपनियां इस पर अंकुश लगाने में विफल रही तो सरकार को नीतियों में बदलाव करना पड़ सकता है।
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